Menu
blogid : 11729 postid : 772811

बेनीवाल पर बवाल से हैरानी क्यों ?

प्रयास
प्रयास
  • 427 Posts
  • 594 Comments

गुजरात से मिजोरम तबादला और फिर अपमानजनक बर्खास्तगी, कभी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की नींद उड़ाने वाली कमला बेनीवाल ने ये सोचा भी नहीं होगा कि ताउम्र शान से राजनीति करने के बाद उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अपमान का घूंट पीना पड़ेगा। बेनीवाल के साथ ही तमाम कांग्रेसी इसे भले ही बदले की राजनीति करार देते नहीं अघा रहे हों, लेकिन मोदी सरकार के इस फैसले से हैरानी जरा भी नहीं होती। जो काम 2004 में केन्द्र की सत्ता में आने पर कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने किया था, उसी नक्शेकदम पर अब मोदी सरकार भी चल रही है।

कांग्रेस के सवाल उठाने पर सरकार इसे नियमों के तहत लिया गया सही फैसला ठहराते हुए तमाम तर्क पेश कर रही हो लेकिन इस फैसले के पहले मोदी सरकार की क्या नीयत थी, इसे आसानी से समझा जा सकता है। गुजरात में तत्कालीन मोदी सरकार के फैसलों को रेड लाईन खींचने वाली कमला बेनीवाल ने शायद ही उस वक्त ये सोचा होगा कि जिस गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के फैसलों को रेड लाईट दिखाकर वे कांग्रेस आलाकमान की आंखों का तारा बनने के साथ ही कांग्रेस को गुजरात की मोदी सरकार पर सवाल उठाने के मौके भी कांग्रेस को दे रही हैं, वही मोदी भविष्य में उन्हें उनके राजनीतिक जीवन के अब तक के सबसे कड़वे दिन दिखाने वाले हैं।

बेनीवाल क्या, शायद ही किसी वे ये कल्पना की होगी कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा 2014 के आम चुनाव नें प्रचंड बहुमत से सत्ता में आएगी। लेकिन ऐसा हुआ और कमला बेनीवाल मोदी सरकार के रडार में ऐसी आईं कि उन्हें बुरी तरह अपमानित होकर राजभवन के ठाट त्याग कर घर लौटना पड़ा। जहां पर उनके किए कुछ कारनामों के लिए उन्हें और भी मुश्किल भरे दिनों से गुजरना पड़ सकता है।

शायद यही राजनीति है, कब, किसकी किस्तम का सितारा चमकने लगे, कोई नहीं जानता, न ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये सोचा था कि कभी वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे और न ही नरेन्द्र मोदी ने इस जीत ती उम्मीद भी कभी की होगी, जो उन्हें 2014 के आम चुनाव में मिली। ये तो सिर्फ दो ही ताजा उदाहरण हैं। राजनीति का इतिहास ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है, जब सत्ता ने खुद कई लोगों के कदम चूमे तो कई लोग सत्ता के करीब पहुंचकर भी हाथ मलते रह गए। अब बेनिवाल के साथ ये हो रहा है तो अचरज की कोई बात नहीं है, आज मोदी सरकार यूपीए के वक्त नियुक्त राज्यपालों को रडार पर ले रही है, भविष्य में कभी एनडीए सरकार में नियुक्त राज्यपालों को हो सकता है फिर से ऐसे ही दिन देखने पड़े।

deepaktiwari555@gmail.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply