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मुलायम पर कठोर हुई माया !

प्रयास
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सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह तैयार हैं, बस लालू प्रसाद यादव बसपा सुप्रीमो मायावती का हाथ पकड़कर उनके पास ले आएं। बिहार में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जदयू से हाथ मिलाने के बाद राजद प्रमुख लालू ने माया- मुलायम से आह्वान किया था कि भाजपा को रोकने के लिए यूपी में वे भी हाथ मिला लें। मुलायम ने साथ आने के संकेत भी दिए लेकिन मायावती ने मुलायम को ठेंगा दिखा दिया।

मायावती ने मुलायम और लालू दोनों को खरी खोटी सुनाते हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी क्या किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया। (पढ़ें – बिहार – सियासी दोस्ती के मायने ?)

आम चुनाव में यूपी में भाजपा ने सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए 42.3 फीसदी वोट पाए थे और प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर विजय हासिल की थी। यूपी में भाजपा को कड़ी चुनौती देने की बात करने वाली कांग्रेस सिर्फ 7.5 फीसदी वोट के साथ रायबरेली और अमेठी दो ही सीटें जीत पाई थी। वहीं सत्ताधारी समाजवादी पार्टी महज 22.2 फीसदी वोट के साथ 5 सीटें जीतने में ही सफल हो पाई तो बसपा 19.6 फीसदी वोट हासिल करने के बाद भी एक भी सीट जीतने में असफल रही थी।

प्रदेश में सत्तारूढ़ होने के बाद भी 5 सीटें जीतने वाली मुलायम की समाजवादी पार्टी को शायद ये एहसास हो गया है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने के बाद आम चुनाव में करारी हार का ये सिलसिला उसे 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी जारी रह सकता है और शायद इसलिए ही मुलायम बिहार में जदयू से हाथ मिलाने वाले लालू प्रसाद यादव की सलाह पर गंभीरता से विचार करते हुए दिखाई दिए और कह डाला कि लालू अगर माया को ले आएं तो वे यूपी में सपा मायावती के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं।

आम चुनाव में यूपी में आधी से अधिक सीटें जीतने का दावा कर तीसरे मोर्चे के सहारे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने का ख्वाब देखने वाले मुलायम का ख्वाब मोदी की आंधी में उड़ गया, ऐसे में अब मुलायम को शायद ये डर भी सता रहा है कि कहीं भविष्य में यूपी भी उनके हाथ से न निकल जाए।

वहीं यूपी में साथ आने की लालू की सलाह पर मुलायम के संकेतों पर आंखे तरेरने वाली मायावती ने साफ कर दिया है कि वो 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी और सपा क्या किसी भी दल के साथ गंठबंधन नहीं करेगी। मायावती ने ये भी दावा किया कि 2017 में बसपा एक बार फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आएगी। मायावती के इस भरोसे के पीछे मायावती का क्या गणित है, ये तो मायावती ही बेहतर समझा सकती हैं।

लेकिन आम चुनाव में खाता खोलने में असफल रही बसपा की उम्मीद पार्टी को मिले 19.6 प्रतिशत वोटों से ज्यादा लगती है। मायावती को शायद लगता है कि आम चुनाव में सीट भले ही बसपा को एक भी नहीं मिली लेकिन पार्टी 19.6 प्रतिशत वोटों के साथ भाजपा और सपा के बाद तीसरे नंबर पर रही, ऐसे में विधानसभा चुनाव में उसका ये वोट प्रतिशत उसकी सीटों की संख्या में बदल सकता है। वैसे भी 2007 में किसने सोचा था कि बसपा 207 सीटें जीतकर बहुमत के साथ सत्ता में आएगी, शायद मायावती को एक बार फिर से 2007 की तरह बसपा की जीत का भरोसा है।

बहरहाल माया के इंकार के बाद मुलायम के साथ ही लालू और नीतिश कुमार को भी झटका तोजरूर लगा होगा, जो भाजपा को रोकने के लिए फिलहाल किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में देखना रोचक होगा कि भविष्य में विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और उपचुनाव में जनता भाजपा के खिलाफ इन दलों की गोलबंदी को किस तरह लेती है। सवाल ये भी कि क्या आगामी चुनावों में भी दिखेगा मोदी लहर का असर या फिर मोदी सरकार के दो महीने के काम के आधार पर जनता करेगी कोई फैसला ?

deepaktiwari555@gmail.com

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