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राहुल गांधी का डर !

प्रयास
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20 जनवरी 2013 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में पार्टी का उपाध्यक्ष बनने से पहले राहुल गांधी ने अपनी मां से ये जाना कि सत्ता जहर के समान है, लेकिन आश्चर्य उस वक्त हुआ जब पता चला कि राहुल गांधी ने इसे सिर्फ जाना पर समझा बिल्कुल भी नहीं। कई सवाल खड़े हुए, बहस के कई दौर चले कि अगर सत्ता जहर है तो फिर राहुल  गांधी क्यों इस जहर को पीने के लिए ललायित दिखाई पड़ रहे हैं। एक बार फिर से राजस्थान की धरती पर राहुल गांधी को ये एहसास हुआ है कि सत्ता का ये जहर उन्हें कभी भी निगल सकता है। राहुल गांधी ने जिस तरह से अपनी दादी व देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अपने पिता व देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए अपनी हत्या की आशंका जतायी उससे तो कम से कम यही जाहिर होता है कि राहुल गांधी को अब ये डर भी सताने लगा है कि सत्ता रुपी जहर एक दिन उनकी भी जान ले सकता है।

सवाल फिर खड़ा होता है कि क्या ये सिर्फ एक डर है या फिर सत्ता के लिए मतदाताओं से एक भावुक अपील जो लोगों को डराती है और भावुकता में बहकर एक बार फिर से कांग्रेस को सत्ता सौंपने की बात कहती है। राहुल के मन में चाहे जो कुछ हो लेकिन चुनावी जनसभा में मंच से कही गए राहुल के ये शब्द एक आम आदमी को, खासकर देश के युवा मतदाताओं को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरुर करती है।

देश का एक युवा नेता जो अघोषित तौर पर 2014 के लिए कांग्रेस पार्टी का घोषित प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार है, वह कांग्रेस में नंबर दो की कुर्सी संभालने के बाद से अपने परिवार की कुर्बानियों का हवाला देते हुए भावुक अपील कर मतदाताओं से वोट मांग रहा है।

क्या इस युवा नेता के पास अपनी सोच के दम पर, अपनी भावी योजनाओं के दम पर, अपने कार्यों के दम पर मतदाताओं से वोट मांगने की कुव्वत नहीं है..?

क्या इस युवा नेता के पास देश के लाखों युवाओं के सपनों को नए पंख लगाने का दम नहीं है..?

क्या इस युवा नेता के पास देश का, शहरों का, गांवों का, हर गली कूचे के विकास का कोई रोडमैप दिखाकर जनता से वोट मांगने का हौसला नहीं है..?

क्या इस युवा नेता के पास एक भ्रष्टाचार मुक्त, भ्रष्टाचारियों मुक्त सरकार देने का भरोसा मतदाताओं को देने का दम नहीं है..?

क्या इस युवा नेता के पास एक अपराध मुक्त समाज देने का भरोसा देश की जनता को देने की हिम्मत नहीं है..?

अगर इऩ सब सवालों का जवाब हां में होता तो शायद 2014 के कांग्रेस के अघोषित तौर पर घोषित पीएम उम्मीदवार राहुल गांधी अपने परिवार में हुई मौतों का हवाला देते हुए सत्ता पाने के लिए भावुकता भरी अपील नहीं करते लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं !

deepaktiwari555@gmail.com

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