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वाह महाराज वाह !

प्रयास
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कम से कम अभी तक मैं तो यही सोचता था कि नेता भी आखिर इंसान होते हैं, वे एक इंसान का दर्द समझ सकते हैं। पूरी दुनिया का न सही लेकिन कम से कम अपने क्षेत्र की जनता का दर्द तो समझ ही सकते हैं जिसने उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनकर संसद या विधानसभा में भेजा है। लेकिन इस गलतफहमी को एक बार फिर से एक नेता ने ही दूर कर दिया। वो भी एक ऐसे नेता ने जो नेतानगरी के साथ ही धर्म की नगरी में लोगों को सादगी पसंद जीवन जीने की सीख के साथ ही इंसानियत का पाठ पढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ता।

इन नेताजी को लोग सतपाल महाराज के नाम से जानते हैं। नेता जी राजनीति के साथ ही धर्म की नगरी में भी खूब मशहूर हैं। ये अपने भक्तों को ज्ञान बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ते। लेकिन सादगी औऱ इंसानियत की बात करने वाले इन नेताजी के खुद के कारनाम अगर आप सुनेंगे तो शायद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।

दरअसल 21 सितंबर को सतपाल महाराज ने हरिद्वार में शाही अंदाज में अपना जन्मदिन मनाया। इस आयोजन को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से लेकर उनकी कैबिनेट के कई मंत्री तक इस भव्य आयोजन में न सिर्फ शरीक हुए बल्कि इन्होंने इस आयोजन का खूब लुत्फ उठाया।

मुझे सतपाल महाराज के जन्मदिन मनाने से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक जनप्रतिनिधि को क्या ऐसे वक्त पर अपने जन्मदिन का शाही आयोजन करना चाहिए जब उनके क्षेत्र की जनता आपदा के दंश को झेल रही हो और दाने दाने को मोहताज हो..? लोगों को सादगी और इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाले ऐसे व्यक्ति से खुद क्या ऐसे व्यवहार की उम्मीद की जा सकती है..?

जाहिर है एक जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसद महोदय को अपने क्षेत्र की जनता के बीच होना चाहिए था और उनके कष्टों को कम करने की कोशिश करनी चाहिए थी लेकिन शाही आयोजनों के लिए मशहूर सतपाल महाराज के लिए अपना जन्मदिन मनाना शायद उनकी पहली प्राथमिकता रही होगी। आपदा प्रभावितों के बीच जाकर, पूरा दिन उनके साथ बिताकर अगर सतपाल महाराज अपना जन्मदिन मनाते, संकट के वक्त जरुरत की चीजें प्रभावितों को वितरित करते तो शायद पलभर के लिए ही सही उनके क्षेत्र की जनता के चेहरे पर खुशी की एक झलक तो आती लेकिन सतपाल महाराज के लिए शायद अपने क्षेत्र की जनता के कष्टों का कोई मूल्य नहीं है।

जब प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से लेकर उनके मंत्री तक एक के बाद एक शाही भोज का आयोजन कर आपदा प्रभावितों को मुंह चिड़ा रहे हों तो फिर पौड़ी सासंद सतपाल महाराज क्यों पीछे रहें..? उनके पास तो शाही आयोजन के सवाल पर कहने के लिए उनके जन्मदिन का बहाना भी है।

वैसे भी सांसद महोदय से और क्या उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि ये तो इनका पुराना स्टाईल है। बीते साल भी आपदा के वक्त सतपाल महाराज ने न सिर्फ इसी तरह शाही अंदाज में अपना जन्मदिन मनाया था बल्कि उसके तुरंत बाद 23 अक्टूबर 2012 को अपने बेटे श्रद्धेय के विवाह (जरुर पढ़ें- शर्म करो महाराज !) में भी करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाकर शादी को शाही शादी बानाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

deepaktiwari555@gmail.com

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