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फांसी की सजा पर खड़े होते सवाल

भावों से शब्दों तक
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बीते महीने की 30 तारीख को 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा दे दी गयी। याकूब मेमन के ऊपर उसी मुंबई बम धमाकों का केस चल रहा था जिसमे तकरीबन 257 लोगों की जान चली गयी थी। इसके साथ ही 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अंतिम क्षण तक याकूब मेमन को फांसी से बचाने के लिए की गयी तमाम कोशिशें सुबह सात बजे फांसी पर लटकने के साथ समाप्त हो गयी।

याकूब मेमन की फांसी के बाद से कई वर्षों से चली आरही मृत्युदंड पर बहस एक बार फिर से प्रासंगिक हो गई है। मालूम हो कि आज़ाद भारत के बाद से ही फांसी की सजा पर समय- समय पर सवाल उठते रहे हैं। चाहे वह बलात्कार व हत्या का दोषी रहा हो धनंजय की बात हो या फिर 257 मासूम ज़िन्दगी लेने का दोषी याकूब मेमन, इनके साथ साथ तमाम अन्य लोगों की फांसी पर भी कई वकीलों, नेताओं और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने फांसी देने की मुखालफत की है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, कांग्रेस नेता शशि थरूर, बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के साथ साथ कई अन्य ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति मौजूदा वक्त में मौजूद हैं जो मृत्यु दंड दिए जाने के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते आये हैं।

वर्तमान समय में फांसी की सजा के औचित्य पर उठते सवालों से एक बार फिर से सरकार इस कानून को लेकर विचार करना जरुरी होने लगा है। ऐसा नहीं है कि मौत की इस सजा का विरोध प्रशांत भूषण या विपक्षी दलों के राजनेता कर रहे हों बल्कि ऐसा मौजूदा वक्त में सत्ता पर काबिज मोदी सरकार के कई अहम नेता भी शामिल हैं। हाल ही में पीलीभीत से सांसद और भाजपा में गांधी परिवार के चुनिंदा नेताओं में से एक वरुण गांधी ने मृत्युदंड को अनुचित ठहराते हुए इसको ख़त्म किये जाने की मांग एक लेख के जरिये से कर चुके हैं।

अपने इस लेख में वरुण गांधी ने बेबीलोन सभ्यता और ईसा मसीह से लेकर तमाम सभ्यताओं में मृत्युदंड की प्रथाओं और नियमों का हवाला देते हुए बताया था कि यह बेहद क्रूर और निरंकुशतावादी प्रचलन था। इसके साथ ही वरुण ने तमाम अन्य उदाहरण देते हुए मृत्युदंड को समाप्त किये जाने की वकालत की है। इसके साथ ही कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी फांसी की सजा के विरोध में तर्क देते हुए कहा है कि, यह सजा हमें अपराधी के स्तर तक ले जाती है इसलिए मृत्युदंड को समाप्त किया जाना आवश्यक है।

इसके इतर अगर हम आंकड़ों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि वर्ष 2014 में भारतीय अदालतों ने अन्य- अन्य मामलों में कुल 64 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है। इसी कारणवश भारत फांसी की सजा सुनाने वाले कुल 55 देशों की लिस्ट में 10 वें स्थान पर है।

हालांकि वैश्विक आंकड़े पर नजर डालते हुए मालूम चलता है कि तकरीबन 140 देश ऐसे भी हैं जिन्होंने मृत्युदंड पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सयुंक्त राष्ट्र समय-समय पर सभी देशों से फांसी की सजा को ख़त्म करने की गुज़ारिश भी करते आये हैं। ऐसे में केवल भारत को मिला कर कुछ चुनिंदा देशों में जारी मृत्युदंड पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।

खैर, अब जब कई कद्दावर नेताओं के साथ-साथ अपने क्षेत्र में अहम स्थान रखने वाले देश के जाने माने व्यक्ति मृत्युदंड का विरोध कर रहे हैं तो यह देखना दिलचस्प रहेगा कि मोदी सरकार मृत्युदंड की समाप्ति की ओर कोई कदम उठाती है या फिर मृत्युदंड विरोध में उठती इस आवाज़ को अनसुना कर देती है।

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