Menu
blogid : 13493 postid : 1033642

वादों को पूरा करने में असफल साबित हुई मोदी सरकार

भावों से शब्दों तक
भावों से शब्दों तक
  • 53 Posts
  • 14 Comments

भारत की केंद्रीय राजनीति में भाजपानीत राजग को सत्ता संभाले हुए एक वर्ष और तीन माह के आस-पास का समय गुज़र चुका है। बीते वर्ष के अप्रैल- मई माह के दरमियान हुए 16 वीं लोकसभा चुनावों में भाजपा पार्टी का प्रचार करते हुए नरेंद्र मोदी ने मंच से ऐसे कई वादे किये थे जिन्‍हें सत्‍ता में काबिज होने के साल भर के भीतर पूरा कर लेने का दंभ भरा गया था। अब मोदी सरकार को सत्‍ता पर काबिज हुए सालभर से कहीं अधिक समय बीत चुका है लेकिन इसके बावजूद भी मंचों से किए वादों को पूरा नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही कई वादे तो ऐसे भी हैं जिसके अगले चार वर्ष तक भी पूरा होने की कोई उम्‍मीद नहीं दिखाई पड़ती है।

अपने प्रचार के दौरान तत्कालीन वक्त में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के साथ- साथ तमाम भाजपा के दिग्गज नेताओं ने देशभर के सभी प्रमुख शहरों में ताबड़तोड़ रैलियां की थी। कई महीनों तक चली इन रैलियों में नरेंद्र मोदी व अन्य भाजपा नेता देश को बीते कुछ सालों में देश को दीमक की तरह खा चुके भ्रष्टाचार, संसद के भीतर दागी नेताओं जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण मसलों पर भाषण देते हुए कांग्रेस पर तंज कसते रहते थे तथा इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने सत्ता मिलने के बाद देश से इन सभी कमियों को दूर करने का वादा भी किया था।

अब जब मोदी सरकार को सत्‍ता संभाले हुए काफी वक्‍त बीत चुका है तो यह प्रश्न प्रासंगिक हो जाता है कि आखिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों से पहले किये कितने वादों को पूरा किया है या फिर कितने वादों को पूरा करने की ओर अग्रसर हैं।

इसी कड़ी में सबसे पहले अगर हम बात संसद में जनता के बीच से चुनकर आए दागी नेताओं की करें तो ज्ञात होगा कि चुनावों के पहले उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक रैली को सम्बोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भाजपा के केंद्रीय सत्ता पर काबिज होने के बाद संसद के भीतर दागियों की कोई जगह नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने दागियों को संसद के भीतर से बाहर निकालने की एक साल की समय सीमा भी तय कर दी थी। इस हिसाब से देखें तो मौजूदा वक़्त में मोदी सरकार की साल भर की समय सीमा समाप्‍त हो चुकी है लेकिन अभी भी देश की संसद वैसे ही है जैसी की संप्रग सरकार के दौर में थी। मसलन अभी भी कई राजनैतिक दलों के कई सांसद और मंत्री हैं जो संसद की शोभा को बढ़ने नहीं दे रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा संसद में कुल 543 सांसदों में 186 सांसद ऐसे हैं जिनपर कई तरह के अपराध करने के आरोप लग चुके हैं। वहीँ 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में दागी सांसदों का आंकड़ा 153 था। ऐसे में यह सवाल उठना जायज है कि लोकसभा चुनावों के दौरान किया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वायदा आखिर क्यों नहीं पूरा हुआ? आखिर में प्रधानमंंत्री मोदी के सामने ऐसी कौन सी समस्‍या आ रही है कि वो अपनी ही पार्टी के दागी सांसदों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। इसके सिवा हाल ही में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान, पंकजा मुंडे, सुषमा स्‍वराज, वसुंधरा राजे, आदि जैसे कद्दावर नेताओं पर भी भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप लग चुके हैं लेकिन सरकार इस्‍तीफा लेने के बजाए हर वक्‍त इन्‍हें बचाने की कोशिश में जुटी हुई है।

इसके इतर अगर नरेंद्र मोदी के द्वारा किये गए तमाम अन्य वादों पर भी नज़र डाले तो उनमें से एक महत्‍वपूर्णं वादा है- स्विस बैंकों में जमा अरबों रुपयों का कालाधन। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी व भाजपा ने काले धन के मुद्दे पर भी कांग्रेस को कई बार घेरा था। इसके साथ ही तत्‍कालीन पार्टी अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने सरकार बनने के मात्र 150 दिनों के भीतर काले धन को देश में लाने के वादा भी ताल ठोककर किया था। मई के अंतिम दिनों में सत्ता संभालने के हिसाब से 150 दिनों के यह समय सीमा बीते साल के अंत में ही ख़त्म हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कालेधन की देश वापसी की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के पहले जम्मू- कश्मीर में दशकों से चली आ रही धारा 370 को भी समाप्त करने का वादा किया लेकिन बीते जम्मू- कश्मीर विधानसभा चुनावों में पीडीपी के साथ गठबंधन कर भाजपा ने जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार बना चुकी है। धारा-370 को लेकर पीडीपी का नजरिया किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। सभी जानतें हैं कि पीडीपी राज्‍य में धारा-370 को लागू रखने के पक्ष में समय-समय पर बयान देती रही है। इन सभी काराणों को देखते हुए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि मोदी सरकार आने वाले समय में धारा-370 को लेकर क्‍या रूख अपनाती है।

बहरहाल, मोदी सरकार को अधूरे पड़े इन सभी वादों को जल्‍द ही पूरा करने के लिए सशक्‍त कदम उठाने ही होंगे क्‍याेंकि अगर सरकार इनको पूरा करने में गंभीरता नहीं दिखाती है तो आने वाले बिहार चुनावों के साथ अन्‍य चुनावों में भी भाजपा को गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply