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उपचुनाव में भाजपा की हार का निहितार्थ

भावों से शब्दों तक
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इसी वर्ष अपैल- मई में हुए सोलहवीं लोकसभा चुनाव के बाद रिक्त हुई कई राज्यों में लगभग 33 विधानसभा व 3 लोकसभा सीटो पर उपचुनावों के नतीज़े पिछले कुछ दिनों के भीतर जनता के समक्ष प्रस्तुत हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बंगााल, गुजरात, बिहार, आदि जैसे कुल आठ अति महत्वपूर्णं राज्यों में हुए उपचुनावों के आये नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। कुल 33 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने बीते लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत लाकर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को विपक्षी दलों ने 11 सीटों पर ही रोक दिया। केंद्र की राजनीति में भाजपा को पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज़ हुए महज 100 से कुछ दिन ही अधिक हुए हैं, ऐसे में इन उपचुनावों में मिली पचास फीसदी से भी कम सीटों की वजह से केंद्र में भाजपा सरकार तथा आलाकमान पर खुद ब खुद कई सवालिया निशान लगने की शुरुआत हो गयी है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि कहीं न कहीं देश की जनता का भाजपा के प्रति मोह भंग या फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कई दिनों से चली आरही लोकप्रियता की गति पर विराम लग गया है। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे व् मौजूदा वक़्त में देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत नरेन्द्र मोदी की पूरे देश भर में चल रही अभूतपूर्ण लहर की वजह से ही भाजपा के खाते में कुल 543 में से 282 सीटें आई थी। नरेन्द्र मोदी की लहर की बदौलत ही भारतीय जनता पार्टी एक दशक से सत्ता पर काबिज़ संप्रग सरकार को पटखनी देने में कामयाब हो सकी थी।
उत्तराखंड , बिहार , यू.पी. समेत आठ राज्यों में हुए उपचुनावों में जो दो राज्य बेहद महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों के रिजल्ट के चार माह समय बीत जाने के बाद भी नरेन्द्र मोदी की लहर प्रदेश की जनता के बीच मौजूद है और इन उप चुनावों को भाजपा बिना किसी दिक्कत के जीत लेगी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार के मुख्यतः कई कारण पहली नज़र में सामने आते हुए दिखाई दे रहे हैं। पहला कारण- उप चुनावों के दौरान गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के द्वारा उठाया गया लव जिहाद का मुद्दा व् योगी के द्वारा की गयी भारतीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयानबाजी। यह दोनों मुद्दे ही प्रदेश में कहीं न कहीं भाजपा की हार की वजह बने। इसके इतर हार की दूसरी वजह यह भी निकलती हुई सामने आरही है कि भाजपा नेता इस बार अपने मतदाताओं को घर से बाहर निकाल कर पोलिंग बूथ तक ले जाने में नाकामयाब ही साबित रहे। वहीँ उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का मदरसे के सन्दर्भ में दिया गया बयान भी काफी हद तक भाजपा की हार का कारण बनता हुआ प्रतीत हो रहा है ।
उत्तर प्रदेश के आलावा जिस अन्य राज्य में भाजपा को मामूली सीट मिली हैं, वह प्रदेश हैं राजस्थान। वर्तमान समय में राजनीति के हिसाब से महत्वपूर्ण राज्य माना जाने वाला राजस्थान के कुल 4 सीटों पर हुए उप चुनावों में भाजपा ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए केवल 1 सीट पर ही जीत दर्ज की तथा बाकी बची तीन सीटें विगत कई वर्षों से लचर प्रदर्शन कर रही कांग्रेस के खाते में गयी। कांग्रेस को मिली कुल 3 सीटों को भाजपा की बुरी हार की तरह देखा जा रहा है क्योंकि गौरतलब है कि राजस्थान में स्वयं भाजपा की सरकार है और राज्य की कमान बीजेपी की वसुंधरा राजे के हाथ में हैं। ऐसे में अपने ही राज्य में मिली यह हार भाजपा के लिए और भी बड़ी होती हुई मालूम पड़ रही है।
इन दो राज्यों के आलावा अन्य 6 राज्यों के उप चुनावों में भी भाजपा का प्रदर्शन खासा कुछ बेहतर नहीं रहा है जिससे वर्तमान समय में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता व् लहर पर संशय व् संदेह के बादल उमड़ते हुए दिखाई पड़ने लगे हैं। खैर, आने वाले वक़्त में हरियाणा व् महाराष्ट्र जैसे अहम् राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव काफी हद तक जनता के बीच मौजूदा वक़्त में बची भाजपा की पैठ व् पकड़ को उजागर करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं।
मदन तिवारी, लखनऊ
स्वतंत्र टिप्पणीकार,
मोबाइल संख्या- 09044280762

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