Menu
blogid : 13493 postid : 797879

सौर उर्जा की अहमियत समझे सरकार

भावों से शब्दों तक
भावों से शब्दों तक
  • 53 Posts
  • 14 Comments

मौजूदा वक़्त में भारत ऐसी कई विकट समस्याओं से जूझ रहा है जिसका असर आने वाले कुछेक दशकों में बेहद हानिकारक हो सकते हैं। वर्तमान स्थिति में देश भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, बेरोजगारी आदि जैसे कई दिक्कतों का सामना कर रहा है परन्तु इन सभी समस्याओं के इतर एक प्रमुख समस्या देश में लगातार उत्पन्न हो रही, वह समस्या है बिजली संकट । कमोबेश बीते पिछले कई वर्षों से देश की जनता को लगातार बिजली संकट की समस्या से दो – चार होना पड़ा है। लगभग सभी राज्यो को अमूमन हर साल ही बिजली संकट की समस्या जरुर ही आती है लेकिन बावजूद इसके केंद्र सरकार के साथ साथ किसी भी राज्य सरकार के पास कोई अभी ऐसा खाका नहीं दिखाई देता है जिससे यह समस्या से छुटकारा मिल सके। जनता को साल के बारहों महीने और खासकर जून जुलाई की तपती धूप में बिजली संकट से बड़े पैमाने पर जूझना पड़ता है। भारत के उत्तरी भाग यानी की उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, उत्तराखंड जैसे कई उत्तर भारत राज्यों की बात करे तो इन सभी प्रदेशों में बिजली समस्या और व्यापक स्तर पर सामने आती हुई मालूम पड़ती है। हर वर्ष होने वाली बिजली संकट की समस्या से जहां एक ओर देश की जनता तो त्रस्त होती ही है वहीँ दूसरी ओर विपक्षी नेता इसको एक बड़ा मुद्दा बना कर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली जैसे अर्ध पूर्ण राज्य में जुलाई महीने में बिजली खपत लगभग 6500 मेगावाट के आस पास रहती है और यह खपत क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़े राज्य में से एक उत्तर प्रदेश में बढ़कर सबसे अधिक लगभग 9000 मेगावाट के आसपास हो जाती है। मात्र एक महीने में ही कई हज़ार मेगावाट बिजली की जरुरत होने की वजह से बिजली कंपनिया हमेशा पूर्ण रूप से बिजली आपूर्ति करने में असफल साबित होती हैं। देश की राजधानी दिल्ली को प्रमुख तौर पर बिजली सप्लाई करने वाली कम्पनियों में रिलायंस, टाटा आदि जैसे सशक्त कारोबारी घराने से ताल्लुक रखने वाली बिजली कंपनियों के नाम मौजूद हैं। ऐसे में देश के सर्वोच्च कारोबारी घरानों के बिजली से जुड़े होने के बावजूद यह बिजली कम्पनियाँ देश में बिजली संकट की कमी को पूरी तरह से ख़त्म करने से कोसो दूर पर ही अटक जाती हैं तो ऐसे में अन्य बिजली कम्पनियों से पूर्ण रूप से बिजली आपूर्ति की उम्मीद करना बईमानी ही है।

पिछले कई वर्षो से लगातार चलती आरही इस बिजली संकट की समस्या से पूर्ण रूप से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार को बिजली आपूर्ति करने के लिए बिजली उत्पादन के तमाम अन्य वैकल्पिक चीजों को मौजूदा समय में बेहतर ढंग से तलाशने की आवश्यकता है । गौरतलब है कि वर्तामन समय में भारत में बिजली उत्पादन का प्रमुख जरिया कोयला ही है। देश में होने वाली कुल 100 फीसदी बिजली के उत्पादन में से लगभग 67 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है तथा बाकी बची 37 फीसदी बिजली तमाम अन्य चीजों से बनायीं जाती है। अन्य चीज़ों से बनाई जाने वाली बिजली में सबसे पहला व् अहम् नाम है तो वह है सौर उर्जा। सौर उर्जा एक ऐसी तकनीक है जिसमे बिजली कोयले से न बनाकर पूर्णतः सूर्य की किरणों व् धूप पर निर्भर रहती है। सूर्य की किरणों को एक सोलर पैनल के जरिये से घर, दफ्तर आदि अन्य जगहों के इस्तेमाल के लिए बिजली में परिवर्तित की जाती है जिसके बाद यह कोयले की बिजली के सामान्य ही तमाम आवश्यक उपयोग में लायी जाती है।

सौर उर्जा को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के सन्दर्भ में केंद्र सरकारों के साथ साथ कई राज्यों की सरकारों ने अनेक अहम् व् महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं परन्तु यह कदम इस उर्जा के विस्तार में नाकाफी साबित हुए हैं। संप्रग 2 सरकार की ओर से साल 2010 में शुरू की गयी मह्त्वकंशी “जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय सौर मिशन” योजना काफी हद तक सौर उर्जा को ग्रामीण इलाकों तक पहुँचाने में लाभकारी सबित हुई परन्तु योजना के लोकलुभावन होने के बावजूद भी यह शहरी इलाकों तक अपनी पकड़ बनाने में नाकामयाब साबित हुई । गौरतलब है इस योजना के अंतर्गत सौर उर्जा से सम्बन्ध रखने वाले कई उपकरणों के इस्तेमाल पर लगभग 40 फीसदी तक की भारी सब्सिडी भी केंद्र सरकार के जरिये से दी गयी परन्तु भारी सब्सिडी के बावजूद भी बहुत अधिक फायेदा नहीं हुआ। इसके इतर सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए उन राज्यों की चर्चा करें तो गुजरात का नाम पहली पंक्ति में आता है। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और आज के समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में एशिया का सबसे बड़ा सौर उर्जा प्लांट लगाकर गुजरात की जनता को बिजली समस्या से काफी हद तक मुक्त कर चुके है। ऐसे में कई अन्य राज्यों की सरकारों को भी गुजरात के सोलर पैनल मॉडल की तरह ही अपने राज्यों में सोलर पैनल मॉडल को विकसित करना चाहिए।

खैर, अगर आने वाले वक़्त में बिजली संकट की समस्या से समाधान पाने के लिए केंद्र की एनडीए सरकार के साथ साथ सभी राज्य सरकारों को भी सौर उर्जा को बढ़ावा देने के सन्दर्भ में कड़े से कड़े कदम व् कई प्रभावशाली योजनायें लागू करनी होगी जिससे देश की जनता को कम समय में ही इस भीषण समस्या से छुटकारा मिल सके।

मदन तिवारी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply