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यह भारतीय लोकतंत्र की विडंबना है कि किसी जुर्म, अपराध और अन्याय के खिलाफ अगर कोई आवाज उठाता है तो उसे इसका हर्जाना देना पड़ता है। हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के साथ तो ऐसा ही है। उन्होंने अब तक अपनी 21 साल की नौकरी में 44वीं बार तबादला देखा है। यह तबादला उनके द्वारा ईमानदारी से काम करने का नतीजा है।
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अशोक खेमका पर हरियाणा सरकार की तरफ से एक और चार्जशीट दायर करने की तैयारी चल रही है। इससे पहले भी हरियाणा सरकार खेमका पर एक चार्जशीट दायर कर चुकी है।
हरियाणा सरकार द्वारा खेमका पर की जाने वाली कार्यवाही को गांधी-नेहरू परिवार से जोड़ कर देखा जा रहा है। स्वयं खेमका भी मानते हैं कि ईमानदारी से काम करने के लिए उनका सार्वजनिक तौर पर उत्पीड़न किया जा रहा है। उधर हरियाणा सरकार का कहना है कि जब खेमका हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक पद पर थे तब वह गेहूं के बीजों की बिक्री का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे पाने में नाकाम रहे।
आज का मुद्दा
क्या गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से पंगा लेने के कारण ही खेमका को परेशान किया जा रहा है?
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