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उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते अपराध ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उत्तर प्रदेश के विभाजन का वक्त आ गया है? हत्या, चोरी-ड़कैती, बलात्कार गैंगरेप यूपी के लिए आम बात हो चुकी है। ऐसा कोई सा भी दिन नहीं जा रहा जब राष्ट्रीय अखबारों और टेलीवीजनों में उत्तर प्रदेश से संबंधित अपराध और दुष्कर्म की खबर न हो।
बढ़ते अपराध की वजह से शासन और प्रशासन भी पंगु दिखाई दे रही है। उधर राज्य सरकार की नीतिया भी इन अपराधों को रोकने के मामले में पूरी तरफ से निरर्थक और निष्क्रिय साबित हो रही है। वैसे यूपी में ‘अपराध का मुद्दा’ पहली बार नहीं है। बिगड़ते कानून व्यवस्था के मामले में यूपी हमेशा से ही अन्य राज्यों की तुलना में अव्वल रही है। इसके लिए स्थानीय सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाता है। यूपी को अब तक जिस तरह की सरकारे मिली है उन सभी सरकारों ने अपराधियों को शह दी है। उन्होंने जनता के विकास और सुरक्षा के बारे में न सोचकर धर्म और जाति अधारित राजनीति की है।
दूसरी तरफ वह लोग भी है जो इन कारणों को जिम्मेदार तो ठहराते ही हैं, साथ ही उत्तर प्रदेश के विभाजन की भी बात करते हैं। उनका मानना है कि इतना बड़ा प्रदेश होने की वजह से कानून व्यवस्था कायम रखना किसी भी सरकार के लिए असंभव सा है।
आज का मुद्दा
क्या यूपी के विभाजन का वक्त आ गया है ?
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