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मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उत्तर प्रदेश की सपा सरकार की राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। अखिलेश सरकार की तुलना 2002 के गुजरात दंगों के बाद मोदी सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका से की जा रही है। इस बीच और अधिक किरकिरी से बचने के लिए एक पुराने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने खनन माफिया के खिलाफ अभियान के लिए चर्चा में रही युवा आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन समाप्त कर दिया। प्रदेश सरकार ने इसी साल 26 जुलाई को गौतमबुद्धनगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल (Durga Shakti Nagpal) को निलंबित कर दिया था।
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यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नागपाल ने अपने पति और आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह के साथ मुख्यमंत्री के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की और अपने निलंबन के कारणों के बारे में अपनी सफाई दी तथा अपनी चूक के लिए खेद जताया। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग यह मान कर चल रहे हैं कि अखिलेश सरकार ने यह फैसला इस वजह से लिया है ताकि दंगों से ध्यान को बांटा जा सके और अपने द्वारा की गई भूल को सुधारा जा सके।
आज का मुद्दा
क्या दुर्गा शक्ति की निलंबन वापसी दंगों से ध्यान हटाने की कोशिश है?
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