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अपनी पारंपरिक और रुढ़िवादी सोच की वजह से आधुनिक समाज में चर्चा का विषय रही खाप पंचायत क्या भारतीय संस्कृति का हिस्सा है? शहरों में प्रचलित आम आदमी पार्टी के नेता तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी खाप पंचायत के समर्थन में खड़े हो चुके हैं. हुड्डा ने कहा कि खाप पंचायत एक एनजीओ है जो समाज की सेवा करता है. उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताया.
विवादास्पद और तुगलकी फरमान देनी वाली खाप पंचायतों पर हुड्डा ने जो बयान दिया है उस पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया है. उनका मानना है कि इन खाप पंचायतों के फरमान एक तरफ बर्बरता और अमानवीयता के परिचायक होते हैं दूसरी तरफ ये हमें सैकड़ों साल पीछे ले जाते हैं.
रीति-रिवाजों व संस्कारों का चादर ओढ़े इन खाप पंचायतों पर कांग्रेस के ही एक बड़े नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि खाप पंचायत पीछे ले जाने वाले संगठन हैं, जो भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकतीं और मुझे आश्चर्य होता है, यदि कोई यह कहता है कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं.
आज का मुद्दा
आधुनिक समाज में खाप पंचायतों की कितनी प्रासंगिकता है?
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