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पिछले साल जिस ओलंपिक खेल से भारत को उम्मीद जगी थी उसे आइओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) ने एक फिर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अड़ियल रवैये के चलते चकनाचूर कर दिया। इस तरह से भारतीय खिलाड़ियों को आइओसी की खेल प्रतियोगिताओं में तिरंगे और राष्ट्रगान के बिना शामिल होना होगा।
आईओए ने पिछले महीने विशेष आम सभा की बैठक में आईओसी के सामने अपना संशोधित प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव में उन्होंने दागी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की छूट देने के लिए कहा था जिसे आईओसी ने खारिज कर दिया। एक तरफ जहां खेल को चाहने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के अड़ियल रवैये पर गुस्सा जता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आईओए संगठन से जुड़े कुछ लोग देश के कानून और आईओए संविधान का हवाला दे रहे हैं।
आज का मुद्दा
क्या भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को सच में देश के खिलाड़ियों की चिंता है या फिर राष्ट्र से ऊपर अपने हित को तरजीह दे रहा है?
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