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हिंदुस्तान की राजनीति में जनता की भागीदारी कैसे बढ़ाई जाए, आज यह सबसे बड़ा मुद्दा हो चुका है। एक तरफ जहां अपने अल्पकालिक राजनीति से आम से लेकर खास को प्रभावित करने वाली आम आदमी पार्टी लोगों की शिकायत सुनने तथा राजनीति में भागीदारी को बढ़ाने के लिए नित नए-नए घोषणाएं कर रही है. वहीं दूसरी तरफ देश की अन्य बड़ी पार्टियां जनता से जुड़ने के लिए महंगे विज्ञापन और भव्य मंच का सहारा ले रही हैं.
अब कल (गुरुवार) की ही बात ले लीजिए. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्लीवासियों की शिकायत सुनने के लिए जनता दरबार लगाने जा रहे हैं. उनके सभी मंत्री हर शनिवार को दिल्ली सचिवालय के बाहर सुबह 9:30 से 11.30 तक जनता दरबार लगाएंगे, लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा अपने प्रिय नेता मोदी को भगवान बनाने की ओर अग्रसर हो रही है. खबर है कि कोलकाता में पांच फरवरी को मोदी की रैली होने वाली है जिसके लिए अभी से ही सीटें बुक की जा रही हैं. अगर आपको मंच के सामने वाली सीट चाहिए, तो ऑनलाइन कम से कम 100 रुपए देने होंगे.
अब यहां सवाल उठता है कि जिस जमीन की राजनीति के सहारे अरविंद केजरीवाल ने सियासत के शिखर को छुआ और सीधे जनता के दिलों में समा गए उसके विपरीत शिखर की राजनीति से क्या मोदी खुद को जनता से दूर नहीं कर लेंगे?
आज का मुद्दा
जनता दरबार की राजनीति सही या महंगे विज्ञापन और भव्य मंच के सहारे साधी गई राजनीति ?
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