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एक तरफ जहां देश की राजनीतिक पार्टियां भ्रष्टाचार के खिलाफ लाए गए लोकपाल बिल को पास कराने के जद्दोजहद में लगी हुई हैं। वहीं दूसरी तरफ कभी भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ मिलकर आंदोलन छेड़ने वाले गांधीवादी अन्ना हजारे और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लोकपाल के मुद्दे पर अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं।
अन्ना हजारे ने मौजूदा सरकारी लोकपाल बिल का समर्थन किया है। उन्होंने इस बिल को देश की भलाई का बिल बताया है। अन्ना ने कहा, ‘हमने बिल में 16 बिंदुओं को शामिल करने के लिए कहा था। 100 फीसदी तो नहीं लेकिन अधिकांश बिंदुओं को शामिल कर लिया गया है। मैं इस बिल से संतुष्ट हूं और इसे स्वीकारता हूं। मैंने इसे देख लिया है। इसके पास होते ही मैं अनशन तोड़ दूंगा’। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सरकारी लोकपाल को कमजोर बताते हुए कहा कि इस बिल से भ्रष्ट राजनेताओं को तो दूर किसी चूहे तक को जेल नहीं भेजा जा सकता। आप के नेताओं ने इस बिल में सीबीआई को स्वतंत्र करने की बात कही है।
आज का मुद्दा
मौजूदा दौर में अन्ना हजारे जिस लोकपाल बिल पर सहमति जता रहे हैं क्या उससे शासन में पारदर्शिता संभव है ?
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