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पीछे जिस तरह से नवोदित पार्टी ‘आप’ (आम आदमी पार्टी) की सरकार ने दिल्ली में कुछ अहम फैसले लेकर देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था अब उसमें कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनाव से पहले ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद को ‘आम आदमी’ बताकर जनता के बीच रहकर आगे बढ़ने के बात करते थे लेकिन अब दूसरी पार्टियों के नेताओं की तरह खुद केजरीवाल भी धीरे-धीरे जनता से दूर होते जा रहे हैं।
अपने पिछले फैसले को पलटते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह अब जनता दरबार नहीं लगाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि वह जनता दरबार की जगह अब लोगों की शिकायतें सुनने के लिए हेल्पलाइन और कॉल सेंटर शुरू कर रहे हैं। ‘आप’ इस फैसले को भगदड़ और प्रबंधन के साथ जोड़ रही है। इससे पहले आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लग्जरी फ्लैट इस्तेमाल के मसले पर भी पलट चुकी है।
उधर विपक्षी पार्टियां ‘आप’ के नेताओं को घेरते हुए यह आरोप लगा रही हैं कि आम आदमी पार्टी का मकसद जनता की समस्याओं को दूर करना नहीं बल्कि उन्हें अंधेरे में रखना है। बीजेपी नेता हर्षवर्धन ने कहा कि केजरीवाल पहले जनता दरबार लगाने का फैसला लेते हैं और फिर खुद ही बंद भी कर देते हैं।
आज का मुद्दा
क्या आम आदमी पार्टी का मकसद जनता की समस्याओं को दूर करना नहीं बल्कि उन्हें अंधेरे में रखना है ?
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