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लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले भारी जनादेश से पार्टी के कार्यकता काफी खुश हैं. यही नहीं नई सरकार को लेकर पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है. हर किसी को लग रहा है कि अब नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से अच्छे दिन जरूर आ जाएंगे, लेकिन क्या मोदी के आने से भारत के बाहर विश्व में डर का माहौल जैसा वातावरण पैदा हो चुका है. विभिन्न राष्ट्रीय प्रमुखों के बयानों से तो ऐसा ही लगता है. जो शक्तिशाली राष्ट्र अब तक नरेंद्र मोदी को भाव नहीं देता था वही शक्तिशाली राष्ट्र मोदी की भारत में लहर को देखते हुए अपने देश में आने के लिए वीजा देने को तैयार हो गया (अमरीका गुजरात के दंगों के चलते 2005 से मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा है).
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नरेंद्र मोदी को फोन करके उन्हें लोकसभा चुनावों में शानदार जीत की बधाई दी. बातचीत के दौरान ओबामा ने भारतीय-अमरीकी रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर चर्चा की, साथ ही मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए ‘भारत वैश्विक स्तर पर असरदार भूमिका निभाएगा’ इसके लिए आशा भी जताई. उधर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री को अमरीका की यात्रा के लिए वीजा मिलेगा. बात केवल अमरीका की नहीं है ब्रिटेन, फ्रांस आदि के राष्ट्र प्रमुखों ने भी मोदी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ की और अपने देश में आने का निमंत्रण दिया.
यही नहीं मोदी की आक्रामक शैली से भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन भी भयभीत हैं. इसलिए उन्होंने मोदी के जीत दर्ज करने के साथ ही उनकी सरकार के साथ काम करने की इच्छा भी जता दी. यही नहीं पाकिस्तान जो हमेशा भारत के खिलाफ कायराना हरकत करता रहा है उसने भी मोदी को अपने देश में आने का निमंत्रण तक दे दिया, जबकि वहां के विभिन्न गुट मोदी को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं.
अब सवाल यही उठता है कि क्या ये सभी राष्ट्र मोदी की प्रभावशाली और आक्रामक शैली से डरने लगे हैं? क्या वह समझ चुके हैं कि भारत को कमजोर राष्ट्र समझना उनकी सबसे बड़ी गलतफहमी होगी? कुछ जानकार तो यही मानकर चल रहे हैं. लेकिन इस बात से अलग हटकर विचार रखने वाले लोग मानते हैं कि जब भी कभी किसी देश में नई सरकार बनती है तो विश्व के अलग-अगल देश के प्रमुख उस राष्ट्र से मधुर व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रखने के लिए इस तरह की औपचारिकता करते हैं. रही बात मोदी के भय की तो यह मोदी का भय नहीं बल्कि मनमोहन सरकार की कमजोरियां रही हैं जिसको देखकर-समझकर कोई भी राष्ट्र किसी कमजोर राष्ट्र को सामान्य तौर पर नहीं लेगा.
आज का मुद्दा
क्या मोदी से डरती है दुनिया?
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