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Social Achievements in 2012: समस्याएं ही नहीं कुछ समाधान भी मिले

Top of 2012
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साल दर साल कुछ ऐसी समस्याएं, ऐसी परेशानियां हमारे सामने आती हैं जिनसे पार पाना वाकई कठिन हो जाता है. भारत ही नहीं बल्कि अन्य कई या कहें सभी देश बाहरी समस्याओं के साथ-साथ अंदरूनी समस्याओं का भी सामना करते हैं. लेकिन समस्याओं से आगे निकलकर उनका समाधान ढूंढ़ना ही एक परिपक्व समाज की पहचान है और इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि किसी भी देश की राजनीति ही उस देश के सामाजिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है. यूं तो भारतीय राजनीति की शिथिलता से सभी वाकिफ हैं लेकिन राजनैतिक दृष्टि से साल 2012 में कुछ ऐसे कदम उठाए गए जो विभिन्न सामाजिक समस्याओं का समाधान भी कहे जा सकते हैं, जैसे:


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1. बाल यौन अपराधों से बचाव का कानून: 10 मई, 2012 को राज्यसभा से पारित होने के बाद 22 मई, 2012 को लोकसभा द्वारा भी इस मुद्दे से संबंधित बिल को पारित कर दिया और राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद इस बिल ने कानून का रूप ले लिया. बच्चों के साथ बढ़ते शारीरिक उत्पीड़न और यौन हिंसा की रोकथाम के लिए इस कानून को लागू किया गया. उल्लेखनीय है कि यह अपने आप में पहला ऐसा कानून है जो बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाया गया है क्योंकि इससे पहले वयस्कों और बच्चों के साथ होते यौन उत्पीड़न को एक ही कानून के अंतर्गत रखा जाता था. इस कानून के अनुसार यौन हिंसा करने वाले अपराधी को सात वर्ष तक की कैद या फिर अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है.


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2. खाद्य सुरक्षा अधिनियम: केन्द्रीय सरकार द्वारा खाद्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हुए खाद्य सुरक्षा अधिनियम पेश किया गया. सरकार के अनुसार यह एक ऐसा कानून तैयार हो सकता है जिसे लागू करना तो आसान होगा ही साथ ही गरीबी उन्मूलन में भी यह अपनी भूमिका निभाएगा. इस विधेयक के अंतर्गत सभी वर्गों को समान श्रेणी(आम आदमी) के अंतर्गत रखकर खाद्य का वितरण किया जाएगा. इससे ‘टार्गेट’ जैसी परिभाषा की भी समाप्ति संभव है.


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3. पदोन्नति में आरक्षण: सामाजिक तौर पर एक विवादास्पद मसौदा लेकिन सरकारी दृष्टिकोण से इस कानून के लागू होते ही समाज में दलित वर्ग के लोगों को समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा. सरकार का मत है कि दलित वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिलता इसीलिए पदोन्नति में आरक्षण उनके लिए जरूरी है. हालांकि अभी इस मसौदे को लेकर विरोध और विवाद चल रहे हैं लेकिन सरकार का कहना है कि यह एक आवश्यक पहल है.


4. बलात्कार के विरुद्ध कांग्रेस सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल: हाल ही में हुई गैंग रेप की जघन्य वारदात, जिसने पूरे देश को बलात्कार और यौन हिंसा जैसे अपराधों के विरुद्ध एकजुट लाकर खड़ा कर दिया है, के बाद भारत के प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस ने इन अमानवीय वारदातों पर लगाम कसने के लिए एक ऐसा ड्राफ्ट तैयार किया है जिसके अंतर्गत रेप के दोषी व्यक्ति को 30 वर्ष की कैद के अलावा विरल अपराधों में केमिकल कास्ट्रेशन, स्पष्ट अर्थों में रसायनों की सहायता से पौरुषत्व की समाप्ति, जैसी गंभीर सजा भी दी जा सकती है.


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5. महिला सशक्तिकरण की तेज होती बयार: हालांकि महिलाओं को सशक्त बनाने से जुड़ा यह मुद्दा पिछले काफी समय से चर्चा का विषय रहा है लेकिन साल 2012 में महिलाओं के प्रति घटती हिंसक घटनाओं और आपराधिक वारदातों के अलावा, उनके सशक्तिकरण की गति भी तेजी से बढ़ी है. इसमें कोई शक नहीं कि कुछ समय पहले महिलाओं के उत्थान का मसला अन्य सभी मामलों के नीचे आकर दब गया था लेकिन अब फिर से इस दिशा की ओर कदम बढ़ाए जाने लगे हैं.



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Tags: congress, social reforms, women empowerment, reservation in promotion, food security bill, child sexual abuse and violence, बाल यौन अपराध, महिला सशक्तिकरण




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