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अन्ना हजारे: क्षेत्रीय स्तर से निकलकर यह नाम पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ. महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव रालेगन सिद्धि से निकलकर अन्ना हजारे ने समाज सेवा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. पिछले वर्ष इंडिया अगेंस्ट करप्शन नामक समिति द्वारा अन्ना और उनकी टीम ने समाज के लिए नासूर बन चुके भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प लिया. जनलोकपाल बिल की मांग को अहिंसा के द्वारा पूरा करवाने के लिए लिए अन्ना हजारे ने अनशन का सहारा लिया. लेकिन इससे पहले कि सरकार जनलोकपाल बिल पर गंभीरता से कोई निर्णय लेती अन्ना हजारे की टीम ने उनका साथ छोड़ दिया और अंजाम वही हुआ जिसका शायद सभी को अंदाजा था. इंडिया अगेंस्ट करप्शन समिति द्वारा आंदोलन तो इस साल भी हुआ. अन्ना ने इस साल भी अनशन किया लेकिन टीम में अंदरूनी मतभेदों के चलते अन्ना को सफलता नहीं मिल पाई. इसीलिए भ्रष्टाचार विरोधी यह आंदोलन जल्द ही समाप्ति के कगार पर पहुंच गया. परिणामस्वरूप जिस मुहिम की शुरुआत में पिछले साल सभी लोग ‘मैं अन्ना हूं’ के नारे लगाकर सरकार को एक चुनौती दे रहे थे आज वही अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए हैं. भले ही साल की शुरुआत में ही लेकिन इस साल भी सामाजिक क्षेत्र में अन्ना हजारे का मसला पिछले वर्ष की तरह ही अत्याधिक चर्चित रहा.
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अरविंद केजरीवाल: इस साल अन्ना हजारे और उनकी टीम में मतभेदों की वजह से टकराव उत्पन्न हुआ. जिसका सीधा असर उस मुद्दे पर पड़ा जिसकी वजह से अन्ना के नेतृत्व वाली इंडिया अगेंस्ट करप्शन का गठन हुआ था. समाज हित के लिए शुरू हुई भ्रष्टाचार की मुहिम अपने अंजाम तक पहुंचने से पहले ही समाप्त हो गई. अन्ना हजारे की टीम के प्रमुख चेहरे रहे, आरटीआई कार्यकर्ता और मैगसेसे अवॉर्ड विनर अरविंद केजरीवाल ने अन्ना टीम से अलग होकर आम आदमी पार्टी (आप) नामक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की. इस पार्टी को शुरुआती समय से ही आम जन का खूब समर्थन मिला. अरविन्द केजरीवाल का मानना है कि राजनीति में उतरे बिना राजनीति को सुधारना नामुमकिन है जबकि अन्ना हजारे राजनीति में उतरने के लिए तैयार नहीं थे. अरविंद के अनुसार राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार बाहर रह कर नहीं मिटाया जा सकता है.
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किरण बेदी: टीम अन्ना का सबसे प्रमुख और चर्चित सदस्य रहीं पहली महिला आइपीएस अधिकारी किरण बेदी का नाम भी इस साल यानि 2012 की सबसे चर्चित सामाजिक क्षेत्र की हस्तियों में शामिल है. किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच मनमुटाव इंडिया अगेंस्ट करप्शन के शुरुआती समय से ही चलता आ रहा था. टीम में ‘किसे ज्यादा अहमियत दी जा रही है?’ यही इस मनमुटाव की वजह रहा. टीम अन्ना का विघटन होने के बाद और उससे पहले भी किरण ने सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए थे. लेकिन हैरानी की बाद तो यह रही कि सरकार पर आरोप लगाते-लगाते किरण को भी सामाजिक क्षेत्र से जुड़े विभिन्न आरोपों का सामना करना पड़ा. उनके द्वारा संचालित एक स्वयंसेवी संगठन पर निशाना लगाकर किरण को भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया.
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आमिर खान: बॉलिवुड के मिस्टर पर्फेक्शनिस्ट आमिर खान ने भी इस साल सामाजिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. आमिर ने अपने पहले टेलीविजन धारावाहिक सत्यमेव जयते के जरिये आम जन के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश की. सत्यमेव धारावाहिक में समाज में व्याप्त हर उस बड़ी समस्या को उठाया गया जो आज एक नासूर की तरह हमारे समाज को खोखला बनाए जा रही हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, यौन शोषण, विकलांगों की समस्या, बच्चों के साथ होते यौन अपराध आदि जैसी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरुक करने का काम किया गया. सच्ची घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम सत्यमेव जयते में बेहद मार्मिक तरीके से इन सभी घटनाओं का चित्रण किया गया, जो दर्शकों को छू गया.
इरोम शर्मिला: 5 नवंबर, 2012 को मणिपुर की लौह महिला इरोम शर्मिला ने अपने अनशन के 12 साल पूरे कर लिए. उल्लेखनीय है आज से 12 साल पहले 2 नवंबर 2000 को जब ब्रेवरी अवॉर्ड विजेता एक बालक समेत 10 मणिपुरी लोगों को असम राइफल्स के जवानों ने अपनी गोली से उड़ा दिया था तभी से इरोम शर्मिला आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल एक्ट (AFSPA) के विरोध में अनशन पर बैठ गई थीं. उनका कहना है कि मणिपुर राज्य में जितनी भी हिंसाएं होती हैं उन सभी का एक मात्र कारण यह एक्ट है. उन्हें जिंदा रखने के लिए सरकार उन्हें जबरन लिक्विड डाइट देती है.
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