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अंतरिक्ष से छलांग लगाने वाला व्यक्ति
विज्ञान के क्षेत्र में ऑस्ट्रिया के स्काई डाइवर फेलिक्स बॉम गार्टनर ने 14 अक्टूबर, 2012 को बेहद ही रोमांच का काम किया. उन्होंने अंतरिक्ष के एक छोर से छलांग लगाकर इतिहास रचा. उनकी यह रफ्तार इतनी तेज थी कि उन्होंने ध्वनि की रफ्तार को भी पीछे छोड़ दिया. 43 वर्षीय बॉम गार्टनर ने 1,28,097 फुट की ऊंचाई से चार मिनट, 19 सेकेंड के दौरान 1,137 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छलांग लगाई और एक समय 1342 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक जा पहुंचे.
बॉम गार्टनर की छलांग देखिए (click here)
गॉड पार्टिकल की खोज
स्विट्जरलैंड स्थित यूरोपीय सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) के वैज्ञानिकों ने 4 जुलाई 2012 पांच दशक से जारी हिग्स बोसॉन या गॉड पार्टिकल खोजने के अभियान में महत्त्वपूर्ण सफलता की घोषणा की. गॉड पार्टिकल के बारे में माना जाता है कि यह उन कणों को द्रव्यमान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है, जिससे 13.7 अरब वर्ष पहले हुए बिग बैंग (महाविस्फोट) के बाद अंतत: तारों और ग्रहों का निर्माण हुआ. गॉड पार्टिकल ही वह पदार्थ है जिसकी बदौलत दुनिया का निर्माण हुआ, आकाशगंगा, चांद, तारे, प्रकृति, पेड़, पौधे और जीव-जंतुओं का अस्तित्व धरती पर आया इसलिए इसे गॉड पार्टिकल कहा गया है. गॉड का अर्थ होता है भगवान, ईश्वर. यानि ऐसा कण जिसमें प्रकृति के निर्माण की शक्ति हो. वैज्ञानिकों ने उस पार्टिकल की खोज में स्विस-फ्रांस बॉर्डर पर दुनिया की सबसे बड़ी एटम स्मेशिंग मशीन स्थापित की.
अंतरिक्ष पर सबसे अधिक वक्त बिताने वाली महिला
अंतरिक्ष में करीब चार महीने से ज्यादा समय बिताने के बाद भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स अपने दो अन्य साथियों फ्लाइट इंजीनियर जापान के अकीहिको होशिदे और रूस के यूरी मालेनचेंको के साथ 19 नवंबर, 2012 को सुबह करीब 7 बजकर 30 मिनट पर सकुशल धरती पर पहुंचने के साथ ही दुनिया की पहली महिला बनीं जिसने अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त बिताया. वह अब तक अंतरिक्ष में 322 दिन रहने का रिकॉर्ड बना चुकी हैं. नासा के स्पेस मिशन एक्सपेडिशन 33 की कमांडर सुनीता अपने दो साथियों के साथ 15 जुलाई को अंतरिक्ष में गई थीं. सुनीता की टीम ने अंतरिक्ष में 127 दिन बिताए. 46 साल की सुनीता विलियम्स का ये दूसरा अंतरिक्ष दौरा है. इससे पहले 2006 में सुनीता ने 195 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे. तब करीब 6 महीने तक उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर काम किया था. वह भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जिन्होंने अंतरिक्ष समय बिताया. उनसे पहले कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी थीं.
क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह पर उतरा
मानव इतिहास की एक और सबसे बड़ी उपलब्धि उस समय देखने को मिली जब अमेरिका का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह पर गेल क्रेटर में 4.8 किलोमीटर ऊंचे और 154 किमी चौड़ाई के टीले के तल पर 6 अगस्त, 2012 को सुरक्षित उतरा. ये अमेरिका की ओर से भेजा गया ये अब तक का सबसे महंगा यान है. क्यूरोसिटी को तैयार करने में दस साल लगे और करीब 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर आया था. क्यूरियोसिटी यान मंगल ग्रह पर अगले दो साल तक रहकर ये पता लगाने की कोशिश करेगा कि मंगलग्रह पर कभी जीवन हुआ करता था. रोवर एक तरह का विशेष स्वचालित वाहन है, जो ग्रह पर जाकर उसकी सतह का अध्ययन कर आंकड़े इकट्ठे करता है और जानकारी भेजता है.
2012 में नहीं खत्म हुआ विश्व
माया कैलेंडर के अनुसार इस साल 21 दिसम्बर, 2012 को दुनिया खत्म हो जानी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं हुआ. 2012 में दुनिया खत्म होने की चर्चाएं पिछले कई सालों से चल रही थी. इससे पहले दुनिया खत्म होने की भविष्यवाणी को नकारते हुए नासा के शीर्ष वैज्ञानिकों ने भी कुछ दिनों पहले कहा था कि 21 दिसंबर, 2012 को दुनिया नहीं खत्म होने वाली. माया सभ्यता के प्रमुख केंद्र दक्षिण-पूर्वी मैक्सिको में लोगों में खासतौर पर ज्यादा दहशत देखी गई. यहां लोगों ने कथित प्रलय से बचने के उपाय करने शुरू भी कर दिए थे.
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