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सोनिया गांधी – सोनिया गांधी के बिना कांग्रेस आगे बढ़ने का स्वप्न भी नहीं देख सकती. सोनिया गांधी कांग्रेस के लिए एक आधारशिला का काम करती हैं जो समय-समय पर कांग्रेस और यूपीए सरकार के लिए संकट मोचन बनती रही हैं. सोनिया गांधी का नाम विश्व की प्रमुख प्रभावशाली महिलाओं में दर्ज है. इस साल के आंकड़ों के हिसाब से उनको विश्व में सातवां स्थान मिला है.
नरेन्द्र मोदी – गुजरात में अपनी सत्ता को तीसरी बार स्थापित करने वाले नरेन्द्र मोदी भाजपा के एक अभिन्न अंग हैं. गुजरात में भाजपा की जीत कहना शायद उतना सार्थक नहीं होगा जितना कि नरेन्द्र मोदी की जीत. हमेशा किसी ना किसी विवाद से घिरे रहने वाले नरेन्द्र मोदी अपनी छवि को सुधारने में कुछ हद तक कामयाब रहे हैं जो शायद उनको केन्द्र की राजनीति की ओर अग्रसर होने में सहायक होगा.
नीतीश कुमार – बिहार में नीतीश कुमार सुधार और विकास के जनक माने जाते हैं. अपने विकास की वजह से बिहार की रूप-रेखा बदलने में सक्षम नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. राजनैतिक, आर्थिक और विकास के आधार पर नीतीश कुमार को इस वर्ष विश्व के चिंतकों की सूची में जगह मिला है.
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राहुल गांधी – राहुल गांधी भले ही अपने आप को अभी तक उतना साबित नहीं कर पाए हैं फिर भी कांग्रेस और देश की राजनीति में वो अपना अलग और विशिष्ट स्थान रखते हैं. जिस प्रकार का समर्थन उन्हें अपने दल से प्राप्त है वो कहीं ना कहीं इस बात की ओर भी इशारा करता है कि उनमें नेतृत्व की क्षमता है. उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद 2014 के चुनाव का सारा भार अपने कंधे पर लेकर उन्होंने एक बार फिर अपने आप को बड़ी चुनौती दी है.
प्रणव मुखर्जी – कभी कांग्रेस और यूपीए के सशक्त नेता रहे प्रणव मुखर्जी अपनी योग्यता के आधार पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते आए और अब राष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ा रहे हैं. कांग्रेस के लिए संकट का निवारण करने में प्रणव मुखर्जी का नाम सबसे पहले आता रहा. प्रणव मुखर्जी ही एक मात्र ऐसे नेता हैं जो सोनिया गांधी की जी हुजूरी से बचे रहे.
मुलायम सिंह यादव – उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का एक अलग स्थान है. उत्तर प्रदेश में फिर से अपनी सत्ता को स्थापित करने की वजह से वो इस साल के प्रमुख राजनेताओं में शामिल हैं और बहुत हद तक देश की राजनीति में प्रमुख कारक के रूप में भी उभर कर सामने आए हैं.
ममता बनर्जी – बंगाल की राजनीति में वामपंथ को अस्तित्व से हटाने वाली ममता बनर्जी भी इस साल के कुछ प्रमुख राजनेताओं में शामिल हैं. 34 साल के व्यापक वामपंथ साम्राज्य को ‘क्लीन स्वीप’ कर राष्ट्रीय स्तर पर अपने महत्व को स्थापित करने में ममता बनर्जी सफल रही हैं. पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने में ममता बनर्जी सफल हुई हैं.
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अरुण जेटली – राज्य सभा में भाजपा की अगुवाई करने वाले अरुण जेटली भाजपा का परिमार्जित चेहरा संसद के सामने ला रहे हैं. संसद सही मायने में उस वक्त शांत रहती है जब अरुण जेटली अपनी बात रखते हैं. यूपीए 2 को राज्य सभा में हमेशा ही दबा कर रखने में अरुण जेटली सक्षम रहे हैं. भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रबल उम्मीदवार के रूप में भी वो सामने आ रहे हैं.
जे. जयललिता – दक्षिण भारत की राजनीति को हमेशा से ही जयललिता और करुणानिधि प्रभावित करते आए हैं. अपने कृत्यों से बराबर प्रसिद्धि प्राप्त करने वाली जयललिता राज्य और केन्द्र की राजनीति में हमेशा से कारक बनती आई हैं.
सलमान खुर्शीद – यूपीए 2 के शासन काल में आए कई प्रकार के अवरोधों के बीच सलमान खुर्शीद ने अपनी भूमिका अदा करते हुए समस्या का निवारण किया है. अन्ना हजारे से लेकर बाबा रामदेव तक के आंदोलन में कांग्रेस को बचाते हुए बीच का रास्ता निकलने में सलमान खुर्शीद सफल साबित हुए हैं.
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