भारत में राजनैतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। किन्तु इसके अलावा न्यायपालिका, मिडिया, सेना, पुलिस आदि में भी अकल्पनीय भ्रष्टाचार व्याप्त है। वर्ष 2008 में दी गई ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ने बताया है कि भारत में लगभग 20 करोड़ की रिश्वत अलग-अलग लोकसेवकों को (जिसमें न्यायिक सेवा के लोग भी शामिल हैं) दी जाती है। उन्हीं का यह निष्कर्ष है कि भारत में पुलिस और कर एकत्र करने वाले विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। आज यह कटु सत्य है कि किसी भी शहर में नगर निगम में पैसा दिए बगैर कोई मकान बनाने की अनुमति नहीं मिलती। इसी प्रकार सामान्य व्यक्ति भी यह मानता चलता है कि किसी भी सरकारी महकमे में पैसा दिए बगैर गाड़ी नहीं चलती।अंग्रेजों ने भारत के राजा महराजाओं को भ्रष्ट करके भारत को गुलाम बनाया। उसके बाद उन्होने योजनाबद्ध तरीके से भारत में भ्रष्टाचार को बढावा दिया और भ्रष्टाचार को गुलाम बनाये रखने के प्रभावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। देश में भ्रष्टाचार भले ही वर्तमान में सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है, लेकिन भ्रष्टाचार ब्रिटिश शासनकाल में ही होने लगा था जो हमारे राजनेताओं को विरासत में दे गए थे।
सरकार भ्रट हो तो जनता की ऊर्जा भटक जाती है। देश की पूंजी का रिसाव हो जाता है। भ्रष्ट अधिकारी और नेता धन को स्विट्जरलैण्ड भेज देते हैं।इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा.मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है।
भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जिस पर जितना सोचा जाए ,कहा जाए ,बहस की जाए कम है ।क्या हम वाक़ई भ्रष्टाचार जैसे मुददे पर गंभीरता से सोचते हैं । मुझे लगता है नहीं ??? क्यूंकी जब हम अपने बच्चों से ही किसी काम को कहते हैं मसलन उनके फायदे के लिए भी ,जैसे पढ़ने भर के लिए भी कहते हैं तो लगभग हर माँ- बाप उसे ‘घूस ‘ देकर पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं ,जैसे बेटा तुम अच्छा पढ़ोगे ,और अच्छे अंक लाओगे तो तुम जो चाहोगे वो हम दिलवाएँगे । इसी आदत (लालच ) का शिकार बच्चे भी अपने माँ-बाप पर दबाव बनाते हैं, अगर मैं ये डिवीजन ले आऊँ या इतने अंक ले आऊँ तो आप मुझे क्या दोगे ? इसके अलावा अक्सर माँ-बाप अपनी मर्ज़ी का कोई भी छोटा -मोटा काम कराने तक की रिश्वत अपने बच्चों को देते हैं । ये इनाम नहीं है । इनाम किसी भी कार्य को कराने के लिए नहीं दिया जाता, बल्कि वो तो कोई भी अच्छा कार्य सम्पन्न होने के उपरांत बच्चों को दिया जाता है।ये क्या रिश्वखोरी नहीं है क्या हम अपने बच्चों में भी रिश्वत खोरी या भ्रष्टाचार की नीव बचपन में ही मजबूत नहीं करते ??? जब वही बच्चा बड़ा होकर किसी भी कार्यालय में किसी भी पद पर पहुंचता है ,जो किसी भी काम के लिए ‘कुछ ‘ पाने का आदी है , वह क्या वहाँ पर कुछ पाने की इच्छा नहीं रखेगा ?रखेगा !!!या यही बच्चा बड़ा होकर जब नेता बन देश कि बागडोर संभालेगा तो क्या -क्या नहीं करेगा रिश्वत का तो वह पहले से ही आदी है और अपने जैसे ही किसी और व्यक्ति से मिल नए नए अपराध भी करेगा पैसे में नशा होता है और निरंकुश ताकत भी,जिसका वो अनुचित उपयोग करेगा । तो फिर देश को कौन बचाएगा । देश का तारणहार ही देश डुबो देगा जैसा कि होता आया है । जब हम अपने बच्चों को रिश्वत खोरी बचपन में ही सीखा देते हैं । तो हम उनसे कैसे उम्मीद करेंगे कि वह भी अपने काम के लिए रिश्वत न देगा न लेगा । फिर हम सब दूसरों को दोष क्यूँ देते हैं ।क्यूँ सरकार कि कोसते हैं लोग तो रिश्वत तभी लेंगे न जब हम देंगे । भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ईमानदारी से गहन विचार-विमर्श की ही आवश्यकता नहीं वरन इस बात पर भी गौर किया जाए कि इसकी शुरुआत कहाँ से होती है । जब इसकी शुरुआत पर ही रोक लगेगी तभी इसे बढ्ने से रोका जा सकता है । एक -दूसरे से अच्छा पहनने की होड ,हर सुविधा-सम्पन्न ज़िंदगी जीने कि होड़ इंसान को रिश्वत लेने पर मजबूर करती है । धनवान व्यक्ति धन देकर अपना काम निकाल लेता है । धनवान व्यक्ति से धन कि रिश्वत पाने वाला व्यक्ति अपने पद के महत्त्व को समझ जाता है और फिर वह हर वर्ग से धन पाने कि इच्छा रखता है इससे भी भ्रष्टाचार पनपता है । अंत में सिर्फ इतना ही कि अनशन करने या लोक बिल पारित होने से देश का बेड़ा पार होने वाला नहीं । इससे न तो कालधन वापस आएगा न ही भ्रष्टाचार रुकेगा । इसकी शुरुआत हमे बच्चों से करनी होगी ।हमें अपने बच्चों को बिना रिश्वत के काम करने कि शिक्षा देनी होगी । इन्हे सिखाना होगा कि रिश्वत लेना और देना दोनों ही घोर अपराध हैं जिनका कोई पश्चताप नहीं । भ्रष्टाचार से धनवान और धनवान होता चला जाता है और गरीब और गरीब । जिन गरीब लोगों के पास धन नहीं है रिश्वत देने के लिए उन भ्रष्ट लोंगों (अफसरों )को ,जो सरकार द्वारा भेजी गई व्रद्धावस्था पेंशन देंगे , वो आसानी से पेंशन नहीं पा पाते। वो बेचारे गरीब वृद्ध अपनी पेंशन पाये बिना दफ़्तरों के चक्कर काट-काट कर भूख से मर जाते हैं । देश की 80% जनता गरीब है ।इसके आधी से ज़्यादा गरीबी की रेखा से नीचे। सरकार द्वारा इन्हे मिलने वाली सहायता राशि को अफ़सरशाहों का ख़ुद हजम करना और इन्ही गरीबों से रिश्वत लेना निंदनीय तो है ही घोर अपराध भी है ॥जिसकी कोई माफी ज़मीर भी नहीं देता । शुरुआत छोटी है पर एक दिन अगर हमे अपने सपनों का भारत देखना है । और इस भ्रष्टाचार के तमस से निकलना है तो ये कोशिश करनी ही होगी । तभी इस रात की सुबह होगी ….
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