यौन संबंधों की आयु सीमा में वृद्धि – एकतरफा प्रस्ताव या सामाजिक जरूरतJagran Junction Forum
दिल्ली की एक अदालत के न्यायाधीश का मानना है कि सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित करने की उम्र को बढ़ा कर अठ्ठारह वर्ष करने जैसा प्रस्ताव अलोकतांत्रिक है। इतना ही नहीं संबंधित जज का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव भारतीय समाज में व्याप्त पिछड़ेपन को साफ दर्शाता है। इससे पहले भी दिल्ली की एक अदालत ने सेक्स करने की उम्र अठ्ठारह वर्ष बढ़ाए जाने पर चिंता व्यक्त की थी
सबके अपने-अपने मत सबके अपने-अपने विचार वहीं पर मैं भी अपना मत प्रस्तुत करना चाहूंगी, क्यूंकी मेरे पास दो बेटियाँ हैं उनको ध्यान मे रखकर तथा अपने पास के ग्रामीण परिवेश मे झाँकने पर जो स्थिति वहाँ पर कम उम्र मे शादी होकर ससुराल आई महिलाओं की है, पर गौर करने के बाद जो विचार मेरे मन मे उत्पन्न हुये हैं वो आपके सामने हैं । हर चीज की एक निर्धारित समय –सीमा होती है । हमने माना कि यदि आजकल के 13-14 साल या उससे भी पहले के बच्चे नेट या आसानी से उपलब्ध सामाग्री द्वारा हर वस्तु हर स्थिति से अनभिज्ञ नहीं रह पाते । पर इसका मतलब यह कदापि नहीं कि अगर किसी बच्चे को गाड़ी चलाना या माउजर चलाना आ जाए तो उसे उसकी योग्यता मानते हुये उसे तय समय-सीमा से पहले ही लाइसेन्स दे दिया जाये । निर्धारित समय-सीमा से पहले लड़के –लड़की के साथ-साथ पढ़ने के कारण उत्पन्न आकर्षण मे उठाये गये कोई भी ऐसे अनुचित कदम पर अगर सख्ती से रोक नहीं लगाई जाएगी तो ,उनका ये अनुचित को उचित ठहराया गया कदम एक महामारी की तरह पूरे देश मे फैल जाएगा । शादी के बाद या निर्धारित समय –सीमा पर या उसके बाद उठाए गए ऐसे कदम जहां लड़के-लड़कियों की ज़िंदगी को सुखमय बनाने मे सहयोगी है , वहीं एक स्वस्थ समाज का निर्माण भी करते हैं । बालिका विवाह जैसी बुराई का अंत अभी भी नहीं हुआ है, जिसके कारण प्रसव-पीड़ा के दौरान होने वाली मौतों मे कोई कमी नज़र नहीं आ रही । खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों मे। जिस बुराई के अंत के लिए हम पुरजोर कोशिश कर रहे हैं । क्या इस इस प्रस्ताव से असहमत लोग इस देश को फिर से उसी दलदल मे नहीं धँसाना चाहते ???? डॉक्टर्स का कहना है कि प्राकृतिक रूप से 18 साल की उम्र तक लड़कियों के शरीर के सभी अंग पूर्ण रूप से विकसित हो पाते हैं,उससे पहले उसका विवाह या उसके साथ यौन संबंध उसे कई मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रसित कर सकता है । साथ ही लड़को की उम्र भी 21 तय करने का भी यही कारण है । विवाह तय समय-सीमा पर होने पर जहाँ पति-पत्नी का एक दूसरे की ओर आकर्षण बना रहता है ,वहीं इसकी अति होने से भी उत्पन्न कई बीमारियों से भी बचाता है। भारत मे कानून सभी मनुष्यों को समान मानते हुये सभी के हित के लिए बनाया जाता है। यूँ तो आजतक कोई भी कानून बना और वो सफल ही हो गया इसकी कोई गारंटी नहीं होती । आजतक कई कानून बने क्या सभी सफल हुये ???? नहीं !!!! पर इसका ये मतलब नहीं कि हमे इस नए बने कानून का स्वागत नहीं करना चाहिए । ये कानून जहाँ समाज को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने कि कोशिश करता है , वहीं नाबालिग लड़के-लड़कियों को अपनी ज़िंदगी को सही ढंग से जीने कि तरफ कदम बढ़ाने का आग्रह करता है । यहाँ बस ध्यान देने योग्य ये बात है कि जब भी कोई नाबालिग-लड़का या लड़की अपनी मर्ज़ी से यौन संबंध बनाए तो सभी परिस्थितियों पर गौर करते हुये सज़ा केवल लड़के को न देकर लड़की के लिए भी हो। ताकि सभी इससे सबक ले सकें … इस कानून का बनना एक सामाजिक जरूरत है … जिसका स्वागत हमे खुले दिल से करना चाहिए …. ये भारत है , इसकी अपनी संस्कृति है , यह न तो कभी पिछड़ा था और न ही है ….. यही संस्कृति हमारे देश को महान बनती है , इस प्रस्ताव से असहमत लोगो को यह समझना चाहिए । पूनम’मनु’
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