Menu
blogid : 9515 postid : 76

महिला सुरक्षा का नया फरमान – नारी हित की चाह या सुरक्षा तंत्र की नाकामी?

मेरे विचार आपके सामने
मेरे विचार आपके सामने
  • 32 Posts
  • 800 Comments

oooooooooooooooooooooo

महिला सुरक्षा का नया फरमान नारीहित की चाह या सुरक्षा तंत्र की नाकामी?
”Jagran JunctionForum”

”जिस प्रकार सेइस घटना के बाद हरियाणा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने पंजाब शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1958 लागू कर सभी वाणिज्यिक संस्थानों को यह निर्देश जारी कर दिया कि अगर वह अपनी महिला कर्मचारियों से रात को आठ बजे के बाद काम करवाते हैं तो उन्हें पहले श्रम विभाग से इसके लिए अनुमति लेनी होगी।”


इससे तो ये कहीं नहीं लगता कि नारी के साथ होने वाली बलात्कार जैसी दुर्घटना पर कोई रोक लगेगी । हाँ इतना जरूर हो जाएगा कि जिस भी वाणिज्यिक संस्थान में कोई महिला काम करेगी,उस संस्थान यह कर्तव्य होगा कि वह सोच-समझकर अपनी महिला कर्मचारियों को रात को कार्य करने के लिए रोके। लेकिन इससे क्या यह साबित होता है कि वो दिन में सुरक्षित है । चलो हमने माना कि”कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1958 तहत कोई वाणिज्यिक संस्थान पहले श्रम विभाग से इसके लिए अनुमति लेता है और तब वह अपनी महिला कर्मचारियों को रात में कार्य के लिए रोकता है । तब भी इस अवस्था में कोई नारी बलात्कार जैसी दुर्घटना कि शिकार हो जाती है तब क्या होगा” श्रम विभाग से तो उक्त संस्थान अनुमति ले चुका है ,इसलिए पुलिस को तो अब इससे कोई मतलब नहीं होगा इसलिए वो तो अब कुछ करेगी ही नहीं बाकी बचा उक्त संस्थान , तो क्या वह संस्थान उसकी इज्ज़त वापस लौटकर अपना कर्तव्य निभाएगा ???

ऐसा तो आसान न होगा कि वह रात में ड्यूटि करने वाली हर महिला के साथ 2-2 बॉडी गार्ड रख दे। उसपर भी क्या गारंटी है कि वही बॉडी गार्ड मौका देखते ही उस महिला के साथ बदतमीजी नहीं करेंगे।ये तो चलो रात को सड़कों पर होने वाली बलात्कार जैसी दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए हरियाणा पुलिस ने यह कदम उठाया,पर तब क्या हो अगर कोई महिला किसी वाणिज्यिक संस्थान में ही ऐसी किसी दुर्घटना की शिकार हो जाये तब !!!तब भी क्या पुलिस मौन रहेगी ??और वो क्या जब दिन -दहाड़े ,खेतों में ,गाँवो में,शहरों में,घरों में महिलाएं बलात्कार की शिकार हो रहीं हैं।

मेरठ 25 मार्च को दैनिक जागरण में एक खबर छपी कि शेरगढ़ी मौहल्ले की एक 10 साल की मासूम बालिका शाम के समय कोई सामान लाने हेतु घर से दुकान के लिए निकली जो गली के नुक्कड़ पर थी थोड़ी ही दूर चलने पर उसे गली के एक लड़के ने 10 का नोट देकर एक गुटका भी लाने का आग्रह किया तो वह उसे गुटका देने जैसे ही उसके पास गई ,उस लड़के ने उसे एक पार्क के कोने में घसीट लिया और अपने एक और साथी कि मदद से उसके हाथ-पैर बांध कर तथा मुँह में कपड़ा ठूँस कर उसका बलात्कार किया। और वहीं छोडकर उसे भाग गए । अब पुलिस कौन सा एक्ट लागू करेगी ????

बताइये कौन है ?? किससे अनुमति लेकर उस बालिका को घर के किसी आवश्यक काम के लिए निकलना चाहिए था ???
क्या आवश्यकता पड़ने पर कोई स्त्री या बालिका गली के नुक्कड़ तक भी नहीं जा सकती ?या उसके लिए भी उस महिला या बालिका को कोई बॉन्ड भर्ना होगा ?


जब ऐसे अपराध होते हैं तो तब पूरा स्त्री समाज जहां भयभीत होता है वहीं उसके मार्ग में भी अवरोध उत्पन्न हो जाता है ।

और उसका क्या जो मासूम बच्चियाँ घरों में ही यौन-शोषण का शिकार हो रही हैं कहीं दादा द्वारा कहीं चाचा द्वारा । क्या इसके लिए पुलिस को कुछ नहीं करना चाहिए ।??इसके लिए कौन सा एक्ट काम करेगा ???होना तो यह चाहिए कि पुलिस ऐसे अपराधियों के खिलाफ़ कोई ठोस कानून बनाकर कोई ठोस कदम उठाये । इन वहशी दरिंदों के लिए कोई ऐसी सजा मुकर्र की जाये जिसे देखकर -सुनकर दूसरा कोई ऐसा अपराध करने से डरे … पर नहीं हर अपराध जो स्त्री के साथ होता है उसकी सुनवाई होने के बजाय , उल्टे स्त्री पर ही दोष मढ़ दिया जाता है । बलात्कार जैसे घृणात्मक अपराध की  तो पुलिस रिपोर्ट भी एक बार में नहीं लिखती । वो अपराधी को सज़ा क्या देगी ???
इस तरह के एक्ट जहां पुलिस तंत्र कि नाकामी साबित करते हैं वहीं पर ऐसा प्रतीत भी होता है जैसे नारी के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा हो । अधिकार के नाम पर तो वैसे ही नारी के हिस्से में कुछ नहीं आता ,ऊपर से ऐसे एक्ट लागू कर बॉन्ड भरवाकर नारी को अपाहिज महसूस कराना है। सरकार को चाहिए कि वह हर जिले की पुलिस को यह सख्ती से आदेश दे कि उनके अधिकार क्षेत्र में बलात्कार जैसा घृणित अपराध होने पर अपराधी किसी भी हालत में न बख्शा जाये बिना देरी किए निर्दोष व्यक्ति को तो न्याय मिले ही अपितु इस तरह के अपराध कि उसके क्षेत्र में पुनरावृति न होनी चाहिए ।
ये तो पुलिस या सरकार द्वारा बलात्कार जैसे अपराधों पर रोक लगाने कि मांग मेरी तरफ से थी पर हकीकत भी सभी जानते हैं कि पैसे के बल पर हर तरह के अपराधी छूट जाते हैं अगर पुलिस ईमानदारी से कोई अपराधी पकड़ कर अदालत तक पहुंचा भी दे तो पैसे और गुंडई के बल पर वो अपराधी बाइज्जत रिहा होते हैं । सारा तंत्र भ्रष्ट है ।
पुलिस तो जो करे सो करे सरकार जो करे सो करे पर एक अपील अपने जागरण जंक्शन के मंच से अपने सभी देशवासियों से है , नारी का सम्मान करें यह जीवन दात्री है। बिना इसके सृष्टि सम्भ्ब नहीं । फिर इसका इतना निरादर क्यूँ ???
घरों में, दफ्तरों में,दोस्तों में ,परिचितों में अपनों में ,बेगानों में ,रिश्तेदारी में जहां कहीं भी किसी नारी का मानसिक-शारीरिक शोषण होते देखें कृपया उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाएँ।
किसी निरीह बालिका का बलात्कार कर के उसकी पूरी ज़िंदगी को तबाह करने वाला यदि आपका अपना पुत्र भी है तो भी ममता में अंधे न बनें उसे अपराधी मान उसके इस घृणित कार्य की सज़ा दिलवाने में आगे आयें।
उस अपने भाई ,बेटे,अपने रिश्तेदार का साथ न दें ,वह मानवता का मुजरिम है । वैसा ही कोई दरिंदा किसी दिन आपकी मासूम को रौंद डालेगा। उसे सबक सिखाइये ।क्यूंकी पुलिस या सरकार हमारे घरों में झाँकने नहीं आ सकती ,हर स्त्री को स्त्री होने के नाते मज़लूम  स्त्री का साथ तो देना ही चाहिए । वहीं एक पुरुष को एक नारी का पिता,भाई,पति,पुत्र होने के नाते हर उस दरिंदे को दंड देना चाहिए जो नारी का मानसिक या शारीरिक शोषण करने का इरादा रखता हो । तभी बलात्कार जैसी दुर्घटनाओं पर रोक लग सकती है ………… धन्यवाद !!!!



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply