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यादों का मौसम

मेरे विचार आपके सामने
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gulmohar

एक कोशिश बताइये तो कैसी है


यादों का मौसम
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यूं ही नहीं आज हमारी आँखें नम है
आज फिर उनकी यादों का मौसम है ॥

उनके साथ गीत के बोल मीठे लगतें हैं मुझे
अगर वो साथ नहीं तो बेकार हर सरगम है ॥

ये ख़लिश ,ये बेकली मेरी बेसबब तो नहीं
में दूर हूँ जिनसे वो ही तो मेरे हमदम है ॥

उन्ही की आँखों की मय,पीकर शराबी हुआ हूँ
पत्थरों पर भी सोया तो लगा कि ये रेशम है ॥

नम आँखों से खुशी या गम ,में क्या अंतर समझूँ
तुम साथ होते तो जानता,क्या खुशी क्या गम है ॥ …. पूनम राणा ‘मनु’

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