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एवैस्कुलर नेकरोसिस हड्डियों की एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिश्यू यानी हड्डियों के ऊतक मरने लगते हैं। इस तरह की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब इन ऊतकों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता है। इसे ऑस्टियोनेक्रोसिस भी कहा जाता है। एवैस्कुलर नेकरोसिस की वजह से हड्डियां घिसने लगती हैं और अंततः खत्म होने के कगार पर पहुंच जाती हैं। हड्डी घिसने या जोड़ों के अलग हो जाने के कारण उस हिस्से में रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर 30 से 60 वर्ष के बीच के आयु वर्ग के लोगों को यह अपनी गिरफ्त में ज्यादा लेती है। वैसे लोग जो काफी लंबे समय से ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं और ज्यादा शराब पीते हैं, उन्हें इस बीमारी के होने की संभावना अधिक रहती है।
Symptoms
कई लोगों में शुरुआती दौर में इस बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन जब स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है, तब वजन उठाने पर जोड़ों में दर्द होने लगता है। और अंततः स्थिति इतनी ज्यादा बिगड़ जाती है कि लेटे रहने पर भी जोड़ों में दर्द होता रहता है। इस बीमारी में दर्द मध्यम दर्ज का या बहुत तेज होता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। कूल्हे के एवैस्कुलर नेकरोसिस होने पर पेड़ू, जांघ और नितंब में दर्द होता है। कूल्हे के अलावा इस बीमारी से कंधे, घुटने, हाथ और पैर के भी प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है। इनमें से किसी तरह के लक्षण दिखाई देने और जोड़ों में लगातार दर्द बने रहने पर तुरंत डाॅक्टर से दिखाने की जरूरत होती है।
Cause
एवैस्कुलर नेकरोसिस होने के कई कारण होते हैं। जोड़ों या हड्डियों में चोट लगना: जोड़ें में किसी भी तरह का चोट या परेशानी जैसे जोड़ों का खुल जाना, की वजह से उसके नजदीक की रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
रक्त नलिकाओं में वसा का जमाव: कई बार रक्त नलिकाओं में वसा का जमाव हो जाता है, जिससे ये नलिकाएं संकरी हो जाती हैं। इस वजह से हड्डियों तक रक्त नहीं पहंुच पाता है, जिससे उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है।
बीमारी: सिकल सेल एनिमिया और गौचर्स डिजीज जैसी चिकित्सकीय स्थिति उत्पन्न होने पर भी हड्डियों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंच पाता है। इन सबके अलावा कुछ ऐसे अनजाने कारण भी होते हैं, जिनकी वजह से यह बीमारी लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है।
Risk Factors
जोड़ों में चोट लगना या उनका क्षतिग्रस्त हो जाना जैसे कूल्हों के जोड़ का अलग हो जाना या उनका टूट जाना। इस स्थिति में भी जोड़ों के नजदीक की रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और हड्डी तक रक्त की आपूर्ति कम हो सकती है।
स्टेरॉयड का इस्तेमाल। बहुत ज्यादा मात्रा में कॉर्टिकोस्टेरॉयड जैसी दवाइयों का सेवन एवैस्कुलर न्यूरोसिस होने का सामान्य कारण है।
शराब का अत्यधिक सेवन। लगातार कई वर्षों से एक दिन में कई बार शराब पीने से रक्त नलिका में वसा का जमाव हो जाता है और वे संकरी हो जाती हैं।
हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने के लिए लंबे समय तक दवाइयों के सेवन से जबड़ों के नेकरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है।
पैंक्रिएटाइटिस, डाइबिटिज, गौचर्स डिजीज, एचआइवी/एड्स, सिस्टेमेटिक लुपस एरीथेमाटोसस और सिकल सेल सेल एनिमिया जैसी बीमारियों के होने पर भी एवैस्कुलर नेकरोसिस होने की संभावना रहती है।
Complications
एवैस्कुलर नेकरोसिस का उपचार नहीं कराने पर समय बीतने के साथ मरीज की स्थिति बदतर होती जाती है। और एक समय ऐसा आता है जब हड्डी कमजोर होकर घिसने लग जाती है। इतना ही नहीं, इस बीमारी के कारण हड्डियों का चिकनापन भी खत्म होने लगता है, जिससे भविष्य में मरीज गंभीर रूप से गठिया से पीड़ित हो सकता है।
Doctor’s Visit
इस तरह की परेशानी होने पर रुमेटोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक सर्जन से दिखाना चाहिए। डॉक्टर से दिखाने जाने के पहले, कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। एक कागज पर बीमारी के सभी लक्षणों को लिख लें। आप वर्तमान में कौन सी दवाइयां ले रहे हैं और क्या आपके परिवार में किसी को जोड़ों की परेशानी रही है, इस बारे में भी लिख लें।
Investigations
आपके जोड़ों की जांच-परख करने के बाद डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट की सलाह देते हैं। इस टेस्ट में जोड़ों का एक्स-रे, एमआरआई व सीटी स्कैन और बोन स्कैनिंग की जाती है। एक्स-रे के जरिए हड्डियों की स्थिति में होने वाले बदलाव की पड़ताल की जाती है। हांलाकि शुरुआती दौर में एक्स-रे रिपोर्ट सामान्य ही आती है। एमआरआई और सीटी स्कैन हड्डियों की विस्तृत इमेज सामने रखते हैं, जिससे डॉक्टर को इसमें होने वाले शुरुआती बदलाव का पता चल पाता है।
Treatment
मरीज के लिए कौन सा उपचार सही रहेगा यह इस बात पर निर्भर करता है, कि हड्डियों को कितना नुकसान पहुंचा है। इस बीमारी के इलाज के लिए पहले मेडिकेशन व थेरेपी का ही सहारा लिया जाता है और जरूरत पड़ने पर सर्जरी की जाती है।
Drug Treatment
एवैस्कुलर नेकरोसिस के शुरुआती दौर में इसके लक्षणों को समाप्त करने के लिए दवाइयां और थेरेपी का सहारा लिया जाता है। इसके तहत एक मरीज को दर्द कम करने, रक्त नलिका के अवरोध को दूर करने की दवाइयां दी जाती हैं। इसे साथ ही मरीज की क्षतिग्रस्त हड्डियों पर पड़ने वाले भार व दबाव को कम करने की कोशिश की जाती है। साथ ही फिजियोथेरेपिस्ट की सहायता से कुछ व्यायाम करने की भी सलाह दी जाती है, ताकि जोड़ों की अकड़न दूर हो। इसके अलावा, हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए एली डीटोनेट थेरेपी का सहारा लिया जाता है, ताकि उसे खत्म होने से बचाया जा सके। अगर इलाज के दौरान एलेंड्रोनेट, एक तरह का बाइस्फाॅस्फोनेट का टैबलेट लिया जाए तो मरीज इस बीमारी से छुटकारा पा सकता है।
Special drug- Bisphosphonate
एलेंड्रोनेट का इस्तेमाल ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए किया जाता है। इससे हड्डियों का घिसना रूक जाता है। इस दवा के सेवन से कुछ ही सप्ताह में दर्द से आराम मिल जाता है। इस दवा को सुबह खाली पेट एक या दो ग्लास पानी के साथ लिया जाता है। इस टैबलेट से उन मरीजों को भी दर्द से राहत मिल जाती है, जिन्हें सर्जरी की जरूरत होती है। मेरी टीम पिछले पंद्रह सालो से एलेंड्रोनेट के द्वारा एवैस्कुलर नेकरोसिस का सफलतापूर्वक इलाज कर रही है। यह दवा कैल्शियम और विटामिन डी की अनुपस्थिति में काम नहीं करती है। इसलिए तीन साल तक कैल्शियम और विटामिट डी सप्लिमेंट लेते रहना चाहिए।
Surgery
इस बीमारी के बहुत ज्यादा गंभीर हो जाने पर डाॅक्टर जोड़ों की सर्जरी करते हैं। सर्जरी के तहत हड्डियों के क्षतिग्रस्त भाग को हटाकर उसकी जगह मरीज के शरीर के किसी दूसरे भाग हड्डी को लेकर क्षतिग्रस्त हड्डियों की जगह प्रत्यारोपित किया जाता है। हड्डियों के ज्यादा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में ज्वाएंट रिप्लेसमेंट का सहारा भी लिया जाता है।
Prevention
सीमित मात्रा में अल्कोहन का सेवन करें। कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम रखें। अगर आप नियमित रूप से स्टेरॉयड का सेवन करते हैं, तो उसके प्रभाव का निरीक्षण करते रहें।
dr nadeem ahmad,ms ortho ,apollo spectra hospital ,New Delhi. M- 7291893031
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