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“मानव सेवा ही माधव सेवा”

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“मानव सेवा ही माधव सेवा”| इस पंक्ति मे सम्पूर्ण हिंदू धर्म का सार छिपा है| हिंदू धर्म ना केवल एक धर्म है अपितु यह एक जीवन शैली भी है जो की सेवा भाव को ही अपना धर्म समझता है|  यह वो धर्म है जो सभी व्यक्ति को समान मानता है| सभी जाती, संप्रदाया को समान दृष्टि से देखता है| पर क्या इस भावना का उचित सम्मान हो रहा है? आज समाज के कुछ अवांछित तत्व हिंदू धर्म को ना केवल बदनाम कर रहे है अपितु हिंदू धर्म के विभिन्न जातियों के मध्य वैमनस्या की भावना उत्तपन्न कर रहे है|
गत दिनो समाचार चैनलो के मध्यमो से जो समाचार छन आई वो संपूर्ण मानव समाज को शर्मसार करने वाली थी| कुछ असामाजिक तत्व गौ रक्षा के नाम पर संमाज में आराजकता का वातावरण पैदा कर रहे है| वैसे तो इनका कहना है की यह गौरक्षा कर रहे है लेकिन वास्तविकता यह है कि गौरक्षा के नाम पर यह गुंडागर्दी करते है| गत दिनो मीडीया चैनल आज तक में एक स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित किया गया जिसमे यह दिखाया गया कि किस तरह यह माफिया गौरक्षा के नाम पर अपने गोरख धंधो को चला रहे है| इनकाअसली मकसद लोगों के मंन में भय का वातावरण पैदा करना है ताकि यह इसका फ़ायदा उठा कर यें अवैध वसूली कर सके| यह लोग एक सिंडिकेट की भाँति कारया कर रहे है| इनका कार्य अवैध रूप से गौ तस्करी करना है और इस कार्य के लिए इन्होने कीमत तय कर रखा है| ये लोग गाय को राज्य की सीमा को पार कराने का कार्य करते है| और इस कार्य के लिए प्रति ट्रक बीस हज़ार रुपये वसूलते है| अगर कोई व्यापारी इस कीमत को अदा करने के लिए तैयार हो जाता है तो फिर उनके ट्रक को सीमा के पार पहुचा दिया जाता है| सीमा पार करते ही दूसरे राज्य में मौजूद इनके साथी फिर इस कार्य में लग जाते हैं और फिर वो इन गायों के अवैध तस्करी में सहयोग करने लगते है| अगर कोई व्यापारी यह कीमत देने से मना करे तो उनकी गाड़ी रोक के उनके साथ मार पीट करते है ताकि अगली बार इनसे पैसे वसूले जा सके|
निसचीत तौर पे गायों की तस्करी अनुचित है, पर क्या इस तस्करी को रोकने के लिए मनुष्य की हत्या करे, दलितों का शोषण करें यह उचित है? इस कार्य को कदापि उचित नही कहा जा सकता| क़ानून इस बात की अनुमति नही देता है| हमारे देश में विभिन्न राज्यों में गौ हत्या निरोधी क़ानून है| अगर कभी कोई ऐसी समस्या आती है तो सर्वप्रथम पोलीस को सूचना दी जानी चाहिए तथा क़ानून के प्रावधानो की तहत तस्करो के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए|

“मानव सेवा ही माधव सेवा”| इस पंक्ति मे सम्पूर्ण हिंदू धर्म का सार छिपा है| हिंदू धर्म ना केवल एक धर्म है अपितु यह एक जीवन शैली भी है जो की सेवा भाव को ही अपना धर्म समझता है|  यह वो धर्म है जो सभी व्यक्ति को समान मानता है| सभी जाती, संप्रदाया को समान दृष्टि से देखता है| पर क्या इस भावना का उचित सम्मान हो रहा है? आज समाज के कुछ अवांछित तत्व हिंदू धर्म को ना केवल बदनाम कर रहे है अपितु हिंदू धर्म के विभिन्न जातियों के मध्य वैमनस्या की भावना उत्तपन्न कर रहे है|

गत दिनो समाचार चैनलो के मध्यमो से जो समाचार छन आई वो संपूर्ण मानव समाज को शर्मसार करने वाली थी| कुछ असामाजिक तत्व गौ रक्षा के नाम पर संमाज में आराजकता का वातावरण पैदा कर रहे है| वैसे तो इनका कहना है की यह गौरक्षा कर रहे है लेकिन वास्तविकता यह है कि गौरक्षा के नाम पर यह गुंडागर्दी करते है| गत दिनो मीडीया चैनल आज तक में एक स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित किया गया जिसमे यह दिखाया गया कि किस तरह यह माफिया गौरक्षा के नाम पर अपने गोरख धंधो को चला रहे है| इनकाअसली मकसद लोगों के मंन में भय का वातावरण पैदा करना है ताकि यह इसका फ़ायदा उठा कर यें अवैध वसूली कर सके| यह लोग एक सिंडिकेट की भाँति कारया कर रहे है| इनका कार्य अवैध रूप से गौ तस्करी करना है और इस कार्य के लिए इन्होने कीमत तय कर रखा है| ये लोग गाय को राज्य की सीमा को पार कराने का कार्य करते है| और इस कार्य के लिए प्रति ट्रक बीस हज़ार रुपये वसूलते है| अगर कोई व्यापारी इस कीमत को अदा करने के लिए तैयार हो जाता है तो फिर उनके ट्रक को सीमा के पार पहुचा दिया जाता है| सीमा पार करते ही दूसरे राज्य में मौजूद इनके साथी फिर इस कार्य में लग जाते हैं और फिर वो इन गायों के अवैध तस्करी में सहयोग करने लगते है| अगर कोई व्यापारी यह कीमत देने से मना करे तो उनकी गाड़ी रोक के उनके साथ मार पीट करते है ताकि अगली बार इनसे पैसे वसूले जा सके|

निसचीत तौर पे गायों की तस्करी अनुचित है, पर क्या इस तस्करी को रोकने के लिए मनुष्य की हत्या करे, दलितों का शोषण करें यह उचित है? इस कार्य को कदापि उचित नही कहा जा सकता| क़ानून इस बात की अनुमति नही देता है| हमारे देश में विभिन्न राज्यों में गौ हत्या निरोधी क़ानून है| अगर कभी कोई ऐसी समस्या आती है तो सर्वप्रथम पोलीस को सूचना दी जानी चाहिए तथा क़ानून के प्रावधानो की तहत तस्करो के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए|

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