Menu
blogid : 15132 postid : 775655

वतन वालों सुनो

Udai Shankar ka Hindi Sahitya
Udai Shankar ka Hindi Sahitya
  • 38 Posts
  • 48 Comments

हवायें बह रहीं हैं , फिर भी घुटन सी हो रही है I
हँसते हुये लब हैं , मगर रूहें सभी वे रो रही हैं I I
रंग रोगन से , दरो दीवार , चम चम कर रहे हैं I
लेकिन इन्हीं चौहद्दियों में , मखमली रिश्ते दिनों दिन मर रहे हैं I I
जम्हूरी मुल्क है अपना , तमगा हमारा यह बड़ा है I
मगर टूटा हुआ है आदमी , हुक्काम सीने पर चढ़ा है I I
धर्मनिरपेक्ष हम हैं , यह बड़ी अच्छी इबारत है I
मगर जलते हुये ये आशियाने , किसकी शरारत हैं I I
अमन के इस चमन में , दरिंदा कहाँ से बस रहा है I
हमारी अस्मतों को यूँ , सरे बाजार कोई डस रहा है I I
सलामी दे रहे उसको , जो सीमा पर खड़ा है I
याद उसको भी करो , जंगे ग़ुरबत जो लड़ा है I I
आओ निकल आयें , तिरंगे की कसम खायें सभी मिलकर I
मिटा दें हर बुराई को , वतन की राह पर चल कर I I
(उदय शंकर श्रीवास्तव)
कटरा बाजार , गोंडा
उ. प्र. २७१५०३
8126832288

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply