Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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आज हर शख्स सियासत का पुलिंदा है क्या ,
बात सीधी करे वह शख्स भी जिंदा है क्या ।
इंसान की खाल में हर शख्स दरिंदा है क्या ,
खुद की बेटी को जो देखा तो शर्मिंदा है क्या ।
अधिकार की रैली है ये या कोई दंगा है क्या ,
भाई के खून से ही हाथ को रंगा है क्या ।
तिरंगा था जलाया वो शख्स अभी जिंदा है क्या ,
लाल बत्ती में घूमता एक शख्स वही बंदा है क्या ।
संसद है आज और फिर वही पंगा है क्या ,
हंगामा है और हर कोई हम्माम में नंगा है क्या ।
देश अब मुख्तलिफ रंगों में रंगा है क्या ,
आज हर शख्स के हाथों में तिरंगा है क्या ।
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