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“प्यारसरगम”

Udai Shankar ka Hindi Sahitya
Udai Shankar ka Hindi Sahitya
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जब तलक प्यार के कुछ छंद गुनगुनाएँगे नहीं ।
उनकी धड़कन में छुपे साज़ झंझनाएंगे नहीं ।।
छंद तब गीत लगें, साज़ जब हमराज़ बनें ।
अनमने छंद लगें, साज़ जब तक न बजें ।।
मैं तो हूँ बस छंद, वो मेरी साज़ बनें ।
प्यारसरगम के सभी तार, मधुर वीणा सी बजें ।।
गीत रहे प्रीत रहे, रंगों भरा संसार रहे ।
वो मेरे पास रहें, प्यार की रसधार बहे ।।
उनको देखूँ उन्हें महसूस करूँ, गीत यूं बनते रहें ।
गीतों में वही भाव भरूँ, उनकी आँखें जो कहें ।।
आँखों में रस घोल के वो, प्यार का इज़हार करें ।
ज़िंदगी गीत के मानिंद लगे, प्यार का आगाज़ करें ।।

उदय शंकर श्रीवास्तव
कटरा बाजार, गोंडा (उ.प्र.)
9716027886

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