meri awaaz - meri kavita
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अहमियत
वो मुँह घुमा लेते हैं,
जैसे- गाडि़यॉं चौराहे पर ।
गनिमत मानते हैं,
बच के निकलने में ही हैं ।।
***
एक सफर के राही,
सगे बंधु, साथी में,
बंधुत्व – भाईचारे की नहीं,
कद की अहमियत ही है ।।
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छोटे कद वालों से,
कतराते हैं सब ।
शायद कुछ मांग बैठे,
वह तो अर्थाभाव में ही है ।।
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रिस्ते – नाते, दोस्ती-यारी,
बड़ी चीज होती है ।
परंतु बराबरी वालों से,
ये तो सबके स्वभाव में ही है ।।
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दिल घबड़ाता है अब,
उन यादों के याद आने से ।
कैसे करे शिकायत,
ये लोग तो अपने ही हैं ।।
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संघर्ष में अकेले,
सब दुख हैं झेले ।
पर खुशियों में तो,
सब साथ ही हैं ।।
***
दुरसंचार प्रसार से,
दुरियॉं सिमट गई ।
दूर वाले पास और
पास वाले दूर ही हैं ।।
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संवेदनाएं अंतरजाल (इंटरनेट) पर,
उलझ कर रह गई ।
शायद अहमियत जिंदगी में,
सिर्फ पैसों की ही है ।।
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उदयराज़
लिखा : २५/०८/२०१३
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