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आदमी पलायन कर चूका है

meri awaaz - meri kavita
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ये कहानी है या हकीकत
कुछ समझ में नही आता

ये झूठी है या सच्ची
कोई नहीं बता पाता

रहस्य सा लगता है
जो टूटता ही नही है

और टूटता है तो
हर टुकड़े में कहानी होती है

जिंदगी उलझ जाती है
सुलझाने में स्वयं को

शायद सच और झूठ अब मिल चुका है

आदमी से आदमी पलायन कर चूका है ।
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उदयराज

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