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आम आदमी (कविता – कॉन्टेस्ट)

meri awaaz - meri kavita
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आम आदमी

आम सा असानी से मिलेने,
और निचोड़ा जा सकने वाला
युगों युगों से शोषित,
अपनी अस्मिता की
तलाश में – गुठली सा
आम आदमी है ।।
***
और इसकी किमत भी,
उस आम की तरह है –
जो जिंदा में ३६ रूपये किलो,
और बोतल में –
एक आम का रस
३६ रूपये का है ।।
***
इसकी किस्‍मत भी,
कितनी अजीबो-गरीब है ।
स्‍वयं की किमत,
दूसरी मुट्ठियों में –
कैद है ,
जिसके पास बोतल है ।।
***
तमाम उम्र खुन-पसिने
एक करने पर भी –
वह कुछ कर
नहीं पाता है
तड़पता हुआ आधी उम्र में
मारा जाता है ।।
***
छोड़ जाता है एक
बेसुध, भूखा-‍परिवार,
जिसकी अपनी
जिंदगी से ही
३६ का आंकड़ा है
जिससे वह पार नही पाता है ।।
——————————
उदयराज़

(जागरण जंकश्न में २८ अगस्त २०१३ को प्रकाि‍ शत )

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