आम सा असानी से मिलेने, और निचोड़ा जा सकने वाला युगों युगों से शोषित, अपनी अस्मिता की तलाश में – गुठली सा आम आदमी है ।। *** और इसकी किमत भी, उस आम की तरह है – जो जिंदा में ३६ रूपये किलो, और बोतल में – एक आम का रस ३६ रूपये का है ।। *** इसकी किस्मत भी, कितनी अजीबो-गरीब है । स्वयं की किमत, दूसरी मुट्ठियों में – कैद है , जिसके पास बोतल है ।। *** तमाम उम्र खुन-पसिने एक करने पर भी – वह कुछ कर नहीं पाता है तड़पता हुआ आधी उम्र में मारा जाता है ।। *** छोड़ जाता है एक बेसुध, भूखा-परिवार, जिसकी अपनी जिंदगी से ही ३६ का आंकड़ा है जिससे वह पार नही पाता है ।। —————————— उदयराज़
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