umeshshuklaairo
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एक नयी सुबह फिर होगी
अधिकारों की बात चलेगी
अपने अधिकारों संग देखो
मानव हित को भी सोचो
वह जो खड़ा हुआ अंतिम
उसका भी तो हक जीने पर
जीने की सुविधाओं पर
उसके हक को लड़ते लड़ते
अपना हक तुम पा जाओगे
उसके अधरों की मुस्कानों में
जीवन वैभव पा जाओगे
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