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हमारी ‘तीसरी’ आजादी

फाकामस्ती
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Mukesh Ambani's palatial 570 ft tall residence

Mukesh Ambani's palatial 570 ft tall residence
ऐसी विसंगति दुर्लभ ही होती है। इसे विसंगति न माना जाए तो यह कहा जा सकता है कि ऐसी विद्रुपता भी दुर्लभ ही है। लेकिन इसे इरादतन माना जाए तो यह भी कहा जा सकता है कि देश के करोड़ों गरीबों के साथ इस तरह का परिहास भी दुर्लभ ही है। मैं यहां एक ही दिन देश के सबसे बड़े रईस के बारे में आई दो अलग-अलग खबरों का जिक्र कर रहा हूं। दुनिया के चौथे सबसे रईस व्यक्ति हमारे देसी मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी ने शुक्रवार शाम को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि रिलायंस समूह भारत में तीसरी व असल आजादी लाना चाहता है। ऐसी आजादी जिससे देश को गरीबी से मुक्ति मिल जाए। इसकी खबर रविवार को अखबारों में छपी। रविवार को ही एक अखबार में एक अन्य खबर देखी- मुंबई के एल्टामाउंट रोड पर मुकेश अंबानी ने अपने परिवार के पांच व्यक्तियों के रहने के लिए एक बंगला.. नहीं, नहीं महल… नहीं, नहीं, नहीं… बहुमंजिला इमारत… अरे नहीं, गगनचुंबी महल बनवाया है जिसकी कीमत एकाध करोड़ नहीं (लाखों में बात तो देश के गरीब करते हैं), एकाध अरब भी नहीं…. बल्कि 44 अरब रुपये है।
भई वाह! क्या अंदाज है देश को तीसरी आजादी दिलाकर गरीबी से मुक्त करने का। गरीबों का यह रहनुमा जिस इमारत में रहने जा रहा है उसमें यूं तो महज 27 ही मंजिल हैं, लेकिन उसकी ऊंचाई एक सामान्य 60 मंजिला इमारत के बराबर है। हमारी कुतुब मीनार से ढाई गुना ऊंची 570 फुट की इस इमारत पर तीन हैलीपेड हैं, नौ लिफ्ट, एक स्वीमिंग पूल, पचास लोगों के बैठने के लिए एक सिनेमाहाल, 160 वाहनों की क्षमता वाली छह मंजिला पार्किंग, चार मंजिला झूलता बगीचा, स्पा और न जाने क्या-क्या। उसका वर्णन करना भी अश्लीलता लगती है। एंटीलिया नाम की यह इमारत बनकर तैयार है। कहा जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे मंहगा निवास होगा। अब लोग कह सकते हैं कि पैसा मुकेश अंबानी का है, वो चाहे जैसे रहे, मुझे रश्क क्यों? मुझे इस अश्लील विलासिता से वाकई कोई रश्क नहीं। लेकिन मुझे टीस तब लगती है जब ऐसा इंसान देश से गरीबी दूर करने की बात करे।
मुझे नीता अंबानी से कोई द्वेष नहीं, लेकिन वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) में एक बड़े अहम मुद्दे पर भाषण दे रही थीं। आखिर उनकी मौजूदा योग्यताओं में देश के सबसे संपन्न व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी होने के सिवाय क्या है? उनकी रुचि शास्त्रीय नृत्य में रही और वह हमेशा से एक कुशल नृत्यांगना बनना चाहती थीं। वह मुंबई के नरसी मोंजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से स्नातक रहीं। उनकी मां उन्हें चार्टर्ट अकाउंटेंट बनाना चाहती थीं, लेकिन फिलहाल उनके पास अध्यापन और इंटीरियर डिजाइनिंग की योग्यताएं हैं। वह उद्योग घरानों की ‘मानवीय’ परंपराओं का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए रिलायंस की तमाम गैर-व्यावसायिक शाखाओं, यथा चैरिटी, समाजसेवा, फाउंडेशन, स्कूल, मुंबई इंडियंस, आदि-इत्यादि का काम संभाल रही हैं। जाहिर है, एलएसई में उनके द्वारा परोसा गया ज्ञान उन्हें कालांतर में ससुर व पति से हासिल हुआ होगा। यह भी कहा जा सकता है कि नीता अंबानी ने वही कहा जो मोटे तौर पर रिलायंस कंपनी की सोच रही है और जिसके बदौलत वह देश की सत्ता को दखल-बेदखल करती रही है। इसलिए यह और भी ज्यादा विद्रुप है।
नीता अंबानी के व्याख्यान के शब्द गौर करने वाले हैं। उनका लहेजा वही है जो देश के किसी नीति-नियंता का होता है। उन्होंने कहा, ‘2040 तक भारत की अर्थव्यवस्था 30 से 40 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। जब ऐसा होगा तो देश गरीबी से मुक्त हो जाएगा। हम भारत में गांवों व शहरों के बीच का अंतर पाटना चाहते हैं। उसके लिए जो उद्यम शुरू करना चाहते हैं उसमें निजी क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, आम लोगों समेत सबका और अंतरराष्ट्रीय सहयोग लिया जाएगा…. पहली आजादी 1947 में मिली थी। दूसरी आर्थिक आजादी 1971 में मिली…,’ और तीसरी रिलायंस दिलाएगा। कैसे? देश में कई एंटीलिया खड़ी करके!
हैरानी की बात है भी और नहीं भी कि गृहप्रवेश पर होने वाली पार्टी में शायद खुद मनमोहन सिंह शिरकत करें। इन्हीं मनमोहन सिंह ने कुछ दिनों पहले कहा था कि उद्योगपतियों को युवाओं के सामने उदारता का आदर्श रखना चाहिए। उससे पहले उनकी सरकार के कंपनी मामलों के मंत्री ने देश के कॉरपोरेट मुखियाओं से अपने वेतन को नियंत्रण में रखने (उसे अश्लीलता के स्तर तक न बढ़ाने) की सलाह दी थी। लेकिन फिर हकीकत यही है कि कॉरपोरेट छू(लू)ट की नीतियां बनाने में मनमोहन सिंह की भूमिका 1991 से ही रही है।
अब अंबानी जी यह भी कह ही सकते हैं कि आखिर वह इस इमारत की देखरेख के लिए 600 लोगों का स्टाफ रख रहे हैं। अब हो गई न इन 600 लोगों की गरीबी दूर!!! मिल गई उन्हें तीसरी आजादी!!!

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