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पिता बनने से पहले बच्चे के नाम एक खत

Gangesh Gunjan
Gangesh Gunjan
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प्यारे बेटू/बेटी

तुम तो अभी तक आए भी नहीं हो, लेकिन जब से तुम्हारे आने की आहट हुई है बता नहीं सकता हूं अंदर के जज्‍बात किस तरह आकाश में छाए बादलों की तरह उमड़ घुमड़ रही है। अंदर से खुशी भी होती है, बेचैनी भी होती है। कितनी जिम्मेदारियों का एहसास सिर्फ एक शब्द पापा सुनने भर से हो जाएगा।

 

 

बेटू जब तक पिता बनने का एहसास नहीं हुआ था तब तक शायद कभी ठीक से समझ ही नहीं सका कि माता-पिता बनने की जिम्‍मेदारी क्या होती है। सच में तुम्हारे आने का एहसास बहुत ही खास है। जिंदगी में पहली बार अनदेखी अनजानी स्थिति से कुछ ऐसा लगाव सा हो गया है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। रोज तुम्हारी मम्मी से पूछता हूं मेरा बच्चा ठीक तो है ना? हर दिन गिनता हूं।

 

 

कभी-कभी तुम्हारी मम्मी के बारे में सोचता हूं तो मन अंदर से और गुदगुदा सा जाता है। मैं और तुम्हारी मम्मी घूमने या यूं कहो हनीमून ट्रिप पर  मनाली में थे। शादी के 2 महीने के बाद हम दोनों ने मनाली जाने का प्लान बनाया था। मनाली पहुंचने तक तो सब ठीक था, लेकिन वहां दूसरे दिन तुम्हारी मम्मी की तबियत ठीक न देख मुझे खराब लगा। तीसरे दिन ही हम लोग मनाली से वापस हो गए। फ्लाइट में तुम्हारी मम्मा ने कहा कि पेट में हल्का दर्द हो रहा है किसी तरह जल्दी से घर पहुंचा और फिर गोड्डा में दादी के साथ ले जाकर डॉक्टर से चेकअप करवाया। मैं तो शर्म से डॉक्टर के केबिन में गया ही नहीं। बहाना बनाकर बाहर ही घूमता रहा लेकिन अब अफसोस होता है कि तुम्हारे आने की पक्की खबर सबसे पहले मैं नहीं सुन सका।

 

 

तुम्हें पता है शुरुआत के कुछ सप्ताह में तो मुझे कभी-कभी टेंशन भी होती थी कि यह सब इतनी जल्दी क्यों हो गया। तुम्हारी मम्मा को भी बोलता रहता था- इतनी जल्दी क्यों?  लेकिन कुछ ही दिनों में लगने लगा कि जो हुआ है ठीक ही हुआ है। जिस दिन अल्ट्रासाउंड हुआ था उस दिन पहली बार तुम्हारी धड़कन मैने सुनी वह आज भी मेरे कानों में गूंजती है। पहली बार तुम्हारी धुंधली सी छवि देखी थी।

 

 

अब जब 3 महीने बीत चुके हैं तो तुम्हारे मम्मा के व्यवहार,आदत में भी परिवर्तन आ रहा है। दिन में 5 -6 बार उल्टी करती है। फल सब्जी सब ला कर देता हूं, लेकिन खाने से हमेशा भागती रहती है। कभी-कभी इसके नहीं खाने को लेकर हमारे बीच झगड़ा भी होता है। पहले हमेशा साड़ी, सूट, हार मांगती रहती थी अब बच्चों की फोटो, डॉल आदि देखकर खुश हो जाती है। दुर्गा पूजा के मेले में पहली बार उसे एक खिलौना वाला बाबू दिलवाया जो बटन दबाने पर हंसता था। उसके खिलखिलाने की आवाज सुनकर कितनी खुश हुई थी।

 

 

तुम्हारे आने की आहट को अब हर दिन अपने अंदर महसूस करता हूं। रोज तुम्हारे मम्मी के पेट को छूकर तुम्हें महसूस करने की कोशिश करता हूं। जब भी कहीं किसी छोटे बच्चे को देखता हूं तो तुम्हारे बारे में सोचने लगता हूं। लेकिन तुम्हारा आना इतना भी सहज नहीं है। तुम्हें पाने के लिए तुम्हारी मम्मी और मैं मिलकर योगिनी माता मंदिर में मन्नतें मांगी थीं। तुम्हारा नाम अभी तक सोचा नहीं है। बस अब उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब तुम्‍हें गोद में लूंगा। बेटा या बेटी का अंतर तुम्हारे आने की खबर के साथ ही खत्म हो गया था। तुम जिस भी तरह आओ बेटा या बेटी बनकर हमेशा खूब प्‍यार मिलेगा।

 

तुम्हारे इंतजार में तुम्हारा पापा
GANGESH GUNJAN

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