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पिछले दिनों 15 फरवरी को एक रिपोर्ट लिखी थी… इसे अपने ब्लॉग पर भी दे रहा हूँ
दिल्ली के चुनाव को ‘कॉमन मैन’ की वापसी के रूप में भी देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह चुनाव ‘कॉमन मैन का मीडिया’ यानी सोशल मीडिया के सहारे लड़ा गया। इस चुनाव में जिस तरह तकनीक की लड़ाई लड़ी गई, उसने राजनीतिक लड़ाई के नए पैंतरे का सूत्रपात किया है। आज जब आम आदमी तक इंटरनेट की पहुंच हो रही है और साधारण से साधारण लोग भी स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तब इसे खारिज करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। उम्मीद करनी चाहिए 2०19 का लोस चुनाव पूरी तरह सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा। एक रिपोर्ट-
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‘आप’ जब यह रिपोर्ट पढ़ रहे होंगे, तब अरविंद केजरीवाल ऐतिहासिक रामलीला मैदान (जहां कॉमन मैन का ‘जन्म’ हुआ था) में दिल्ली के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके होंगे… दिल्ली में एक बार फिर सभी कर्मचारी ठीक दस बजे से अपने ऑफिस पहुंचना शुरू कर चुके होंगे… तो घूसखोर घूस लेने से तौबा कर यही सोच रहे होंगे कि इस बार यह सरकार सिर्फ 49 दिन की ही नहीं होगी बल्कि पूरे पांच साल की होगी… दिल्ली में एक बार फिर हर विभाग में भ्रष्टाचारियों की रुह कांप रही होगी, क्योंकि वह ‘कॉमनमैन’ लौट आया है एक बार फिर सीएम (कॉमन मैन) बनकर… उसे बहुत रोका गया कहीं ‘मफलर मैन’ बनाकर तो कहीं ‘यू-टर्न मैन’ (अपने वादों से पलट जाने वाला) कहकर, लेकिन वह फिर भी लौट आया ‘रियल कॉमन मैन’ बनकर… जो ‘कॉमन’ तो है, लेकिन ‘डैंजरस मैन’ भी है… उसे रोका गया देर से दिल्ली चुनाव की घोषणा कर (ताकि अपनी तैयारी कर ली जाए), ’49 दिन का झूठ’ की झूठी रिपोर्ट दिखा कर (जेटली के लिए तो 49 दिन भयानक सपने जैसे थ्ो), उसके कैंडीडेट अपने पाले में कर (किरण बेदी, विनोद बिन्नी, शाजिया इल्मी) जेल में डलवा कर (नितिन गडकरी मामला), पिटवा कर (थप्पड़ मामला), लेकिन वह फिर भी लौट आया ‘रिटर्न मैन (वापस लौटने वाला) बनकर… हां, यह हकीकत है वह फिर लौट आया है लोकतंत्र को 3 डी तकनीक यानी डिबेट (तर्क), डिसेंट (मतभेद), डिस्कशन (चर्चा-परिचर्चा) से चलाने लिए… आप जब यह रिपोर्ट पढ़ रहे होंगे तब तक शायद ‘आम आदमी पार्टी (आप)’ और अरविंद केजरीवाल के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे समाचार पत्र-पत्रिकाओं में, ब्लॉग-फेसबुक-ट्विटर पर या बहुत कुछ देख-सुन चुके होंगे टीवी चैनल्स-रेडियो पर… फिलहाल, यह सब कुछ दिल्ली में होगा और यह सब बातें-विचार-विश्लेषण ‘दिल्ली वालों के लिए है’… लेकिन तकनीक के इस दौर में जब छोटे शहरों में भी काफी लोगों के पास स्मार्ट फोन हो गया है और अधिकतर लोग फेसबुक-ट्विटर से जुड़े हैं, तब ये कतई नहीं कहा जा सकता कि वे इससे नावाकिफ होंगे। यह जमाना तकनीक का है… तकनीक की राजनीति का है। उम्मीद करनी चाहिए कि 2०19 का लोस चुनाव पूरी तरह से सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाएगा।
कॉमन मैन का ‘कॉमन’ मीडिया
यह लगभग सवा साल पहले की बात है, जब दिल्ली चुनाव में ‘आप’ का धमाकेदार आगाज हुआ था और बाद में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब मैंने दिल्ली में रहते हुए एक लेख लिखा था- ‘… तो क्या फेसबुक ने बनवाई ‘आप’ की सरकार’। यही सच था। अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान जिसने भी केजरीवाल के काम करने के अंदाज को देखा था, फिलहाल उनका तो इसी पर विश्वास था। वह अरविंद केजरीवाल ही थ्ो, जिसने तकनीक का पूरी क्षमता से इस्तेमाल कर आंदोलन को आक्रोश-जोश और उबाल में बदल दिया, जिसकी लहर जय प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति (1974-1975) से भी भयानक थी और जिसकी गूंज विदेशों तक सुनी गई। तब ‘इर्मजिंग लीडरशिप’ के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित होने वाले इस आरटीआई कार्यकताã का तेवर जानने वाले उसके दोस्त आदि ये जानते थ्ो कि ऐसा अरविंद ही कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद अरविंद ‘अन्ना आंदोलन की उपज’ कहे गए। दिल्ली चुनाव की जीत के समय मीडिया ने भी यह बात मानी थी कि ‘आप’ की जीत सोशल मीडिया की देन है। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया ‘कॉमन मैन का मीडिया’ का कहा जाता है। अगर किसी की बात ‘अभिजात्य मीडिया’ नहीं सुन रहा है, तो कोई भी इस माध्यम से बड़े ‘मास’ तक अपनी बात पहुंचा सकता है। आम आदमी के बीच पहले ब्लॉग और फिर फेसबुक के हिट होने का यही कारण है। अरविंद केजरीवाल ने इस कॉमन माध्यम का महत्व समझा और उसका पूरी क्षमता से इस्तेमाल किया, लेकिन लोकसभा के चुनाव में मोदी ने यह माध्यम चुरा लिया। ‘अभिजात्य’ मोदी ने इस माध्यम का दुगुनी-तिगुनी-चौगुनी ताकत से इस्तेमाल करते हुए कॉमन माध्यम की खोज करने वाली कॉमन मैन अरविंद केजरीवाल को ही चित कर दिया, लेकिन कोई जरूरी नहीं कि ऐसा ही दुबारा भी हो और यह साबित हो गया 1० फरवरी को दिल्ली चुनाव का परिणाम आने के बाद। उस समय फेसबुक पर चली ये पोस्ट देखिए- ‘1०० रुपये के मफलर से हार गया 1० लाख का शूट’। यह उस कमेंट पर सबसे बड़ा तंज था, जो एक ‘कॉमन मैन’ को ‘मफलर मैन’ बनाने पर तुले थ्ो और खुद दस लाख का सूट पहनकर ‘कॉमन मैन’ बने हुए थ्ो।
तब ‘आप’ ने ऐसी जीती थी दिल्ली
दिल्ली में आप की जीत के बाद दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक की भारत और दक्षिण एशिया की पब्लिक पॉलिसी निदेशक अंखी दास ने आम आदमी पार्टी को एक ईमेल लिखा था और ‘चुनाव में फेसबुक की भूमिका’ पर शोध करने की मंशा जाहिर की थी। इसकी एक वजह थी- दरअसल अन्ना के नेतृत्व में जनलोकपाल के लिए शुरू हुए आंदोलन में शुरुआती कार्यकताã फेसबुक के जरिए ही जुड़े थे। आंदोलन के फेसबुक पेज ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ की आंदोलन को धार देने में भी उनकी बेहद अहम भूमिका रही थी। अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के गठन के बाद यही तरीका अपनाया और दिल्ली के चुनाव में उसे आजमाया भी। जब ‘आप’ ने 28 सीटें जीत ली, तब उस समय आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे अंकित लाल ने एक बयान में दिल्ली में पार्टी की जीत में फेसबुक की अहम भूमिका निभाने का खुलासा किया। वर्तमान में फेसबुक के इस पेज से करीब साढ़े 5० लाख से भी अधिक लोग जुड़े हैं जिनमें से आध्ो लोग सक्रिय रहते हैं। यही नहीं, अब दिल्ली में दुबारा ‘आप’ की सरकार बनने के बाद इस पेज से हर हफ्ते करीब साठ हजार नए लोग जुड़ रहे हैं। ‘सोशल मीडिया की एजेंडा सेटिग इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ से मिले ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस समय 2०० मिलियन से अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 1० करोड़ से अधिक फेसबुक एकाउंट हैं। एक साल पूर्व एक आंकड़ा आया था कि भारतीय शहरों में सबसे अधिक इंटरनेट यूजर मुंबई (68 लाख) में हैं, इसके बाद आता है दिल्ली (53 लाख) का नंबर। इसके पीछे चेन्नै (28 लाख), हैदराबाद (24 लाख), कोलकाता (24 लाख), बेंगलुरू (23 लाख), अहमदाबाद (21 लाख), पुणे (21 लाख) आदि महानगर हैं। वर्तमान में अधिकतर लोगों के लिए यह सूचना का पहला स्रोत बन चुका है। यही नहीं, सोशल मीडिया का सीधा असर मुख्यधारा की मीडिया पर पड़ रहा है। कई बार इसका प्रभाव इतना अधिक हो जाता है कि यह सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन जाता है। तब दिल्ली में ‘आप’ की जीत भी इसी का नतीजा थी।
लोस चुनाव में मोदी का यह था अंदाज
अरविंद केजरीवाल के कॉमन माध्यम को मोदी ने कैसे हाईजैक किया? ये देखिए- ‘इंडिया हैज वन, गुड डेज आर अहेड’ यानी ‘भारत जीत गया’ और ‘अच्छे दिन आ गए’। भाजपा की जबरदस्त जीत के बाद इसकी अधिकारिक घोषणा भाजपा मुख्यालय की ओर से नहीं की गई, बल्कि यह खबर एक ट्वीट के माध्यम से आई। तब मोदी सोशल मीडिया पर इतना सक्रिय रहते थ्ो कि देश में सबसे अधिक उनके फॉलोवर हो गए थ्ो। तब चुनाव में जीत के लिए मोदी ने देश के युवाओं से जुड़ने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और ट्विटर, फेसबुक और गूगल+ पर भी लगातार सक्रिय रहे। वह हमेशा अपने पास लैपटॉप रखते थ्ो और जब-तब ट्वीट भी करते रहते थ्ो। मोदी की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब ‘मोदी की जीत’ का संदेश भारत में सबसे अधिक ट्वीट करने वाला संदेश बन गया था। यह सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता का ही परिणाम था। याद करिए, कैसे मतदान के तुरंत बाद मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ‘सेल्फी’ पोस्ट की थी, जिसमें वह मतदान के बाद अपनी उंगली में लगी स्याही दिखा रहे थे। 16 मई को जबरदस्त जीत के बाद उन्होंने अपने अकाउंट पर अपने समर्थकों व प्रशंसकों के लिए एक फोटो डाली, जिसमें उनकी मां उन्हें आशीर्वाद दे रही थीं। यह दिखाता है कि मोदी अपने हर ‘इवेंट’ को तत्काल सब तक कैसे पहुंचा रहे थे। लोस चुनाव में भाजपा और खासकर मोदी ने मतदाताओं से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का जमकर उपयोग किया और जीत भी गए।
अब बाजी फिर जीती ‘आप’ ने
लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर बाजी बीजेपी ने जीती थी तो इस बार ‘आप’ ने। तब जीत के बाद मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक फोटो डाली थी, जिसमें उनकी मां उन्हें आशीर्वाद दे रही थीं, इस बार बारी केजरीवाल की थी तो उन्होंने ‘आप’ की जबर्दस्त जीत के बाद अपनी पत्नी को गले लगाते हुए एक फोटो डाली और लिखा, ‘मेरा हमेशा साथ देने के लिए धन्यवाद सुनीता।’ बता दें कि दो दिन पूर्व ट्वीटर इंडिया ने आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार केजरीवाल की जीत का जश्न मनाने के लिए दिनभर 3,47,76० ट्वीट किए गए। इनमें ज्यादातर लोग अरविद केजरीवाल और उनकी पार्टी को बधाई संदेश देते नजर आए- ‘आप स्वीप’, ‘आप की दिल्ली’, ‘किसकी दिल्ली’ और ‘दिल्ली विधानसभा’ जैसे हैशटैग के जरिए देश भर से दिन भर कई ट्वीट और फेसबुक पोस्ट किए गए, जबकि कुछ लोगों ने ‘आप’ का विरोध करने के लिए माफी भी मांगी जैसे- चेतन भगत ने। चेतन ने ट्वीट कर कहा, ‘अतीत में मैं आम आदमी पार्टी को नापसंद करता था और उनके लिए कई बुरी बातें कह चुका हूं। माफी। मुझे खुशी होगी अगर वो अच्छा करें।’ ‘आप’ और केजरीवाल को बधाई देने में बॉलीवुड भी पीछे नहीं रहा। फिल्म निर्देशक श्ोखर कपूर ने कमेंट किया, ‘भारत का वोटर ज्यादा सादगी पसंद है, इसलिए उसने ‘आप’ को जिताया।’ अभिनेत्री शबाना आजमी ने लिखा, ‘भारतीय मतदाता हमारे सम्मान के काबिल हैं। ‘आप’ को बधाई।’ फिल्मकार प्रीतीश नंदी ने ट्वीट किया, ‘भारतीय वोटर बहुत समझदार हैं। उन्हें कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए। वहीं भाजपा सहित अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी केजरीवाल को सोशल मीडिया पर बधाई देने में देर नहीं लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा, ‘अरविद केजरीवाल से बात की और जीत के लिए उन्हें बधाई दी। दिल्ली के विकास में उन्हें केंद्र के पूर्ण समर्थन का भरोसा भी दिलाया।’ इसके अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, शिवसेना के उद्धव और आदित्य ठाकरे आदि ने भी ट्वीट कर केजरीवाल को बधाई दी।
संदेश साफ है कि वर्तमान दिल्ली चुनाव सहित पिछले लोकसभा चुनाव में जो कुछ हुआ है और जिस तरह बाजी जीती गई है, उसने सोशल मीडिया की भूमिका बहुत बढ़ा दी है। नि:संदेह इसने आगामी तमाम इलेक्शन में फेसबुक-ट्विटर वार का भी प्लॉट पूरी तरह तैयार कर दिया है। इसमें जो पीछे छूटा तो समझो गया काम से। तो तैयार रहिए आने वाले दिनों में तकनीक की नई राजनीति देखने के लिए।
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