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पिंजरा

VandanaR
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एक बहुत भोली, मासूम और प्यारी चिड़िया थी। नित नव गगन में नई-नई ऊंचाई को चूमा करती थी। फिर एक दिन उसे एक इंसान से प्यार हो गया। वो उस इंसान से मिलने रोज आती और वो इंसान भी उससे मिलकर बहुत खुश होता और कहता के चिड़िया तुम बहुत प्यारी हो, मैने आज तक तुम्हारे जैसी प्यारी चिड़िया कहीं नही देखी। फिर एक दिन उस इंसान ने उस चिड़िया को अपने साथ चलने को कहा, वो बोला के तुम मेरे साथ मेरे घर में रहो, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूँगा और फिर हम हमेशा साथ रहेंगे और हम एक-दूसरे के साथ ज्यादा वक्त भी बीता सकेंगे। चिड़िया खुशी-खुशी उसके साथ चलने को राजी हो गयी और दोनो इंसान के घर की ओर चल दिए।चिड़िया ने देखा के इंसान का घर छोटा सा मगर बहुत सुंदर और प्यारा था। उसके घर में बहुत सुंदर और रंग-बिरंगे फूलो से भरा एक बगीचा था। वो बगीचा बहुत खूबसूरत था, उस बगीचे को देख चिड़िया आनंद विभोर हो उठी। कुछ दिन वो इंसान और चिड़िया एक-दूसरे के साथ खूब वक्त बिताते, बाते करते, घूमते-फिरते और एक-दूसरे के संग अपार सुख का अनुभव करते। फिर एक दिन इंसान को अपने काम पर लौटना था तो वो चिड़िया के लिए एक खूबसूरत सा पिंजरा ले आया। चिड़िया ने उसे देखकर पूछा के यह क्या है? इंसान बोला के मैं तो सारा दिन काम के सिलसिले में बाहर रहूँगा तो तुम इसमें रहोगी तो तुम सुरक्षित रह सकोगी और मैं भी चिंता मुक्त हो अपना ध्यान काम पर केंद्रित कर सकूँगा। इंसान की बातो में आकर चिड़िया उस पिंजरे में चली गई और इंसान उसमे दाना-पानी रखकर उसे पेड़ की शाख पर टांग कर अपने काम पर चला गया। चिड़िया दिनभर इंसान के लौटने का इंतजार करती रही। शाम को इंसान थकान हारा घर आकर सो गया। चिड़िया बहुत दुखी हुई पर उसने इंसान की हालत समझते हुए कुछ न कहा। चिड़िया को लगा के इंसान पहले कभी किसी चिड़िया के साथ नही रहा इसलिए समझ नही है अभी के चिड़िया को कैसे रखते है, उसकी क्या जरूरत होती है, पर मेरे साथ रहते-रहते सब समझ आ जाएगा। दिन बीतते गए, इंसान अपने काम, नाते-रिश्ते और दोस्तो में व्यस्त हो गया और चिड़िया की तरफ बिल्कुल ध्यान न देता। चिड़िया रोज उसे अपने प्रेम का अहसास कराने की कोशिश करती किंतु सब व्यर्थ। बस इंसान सुबह पिंजरे में दाना पानी रख जाता और चिड़िया का एक पर ले जाता बेचने के लिए।

चिड़िया बहुत दुखी रहने लगी। उस पिंजरे में उसकी ख्वाहिश और सपनो के साथ उसका प्यार भी दम तोड़ रहा था। उसने इंसान को बोला के अगर तुम्हे मेरी परवाह नही, मुझसे प्यार नही, मेरे साथ वक्त नही बीता सकते तो मुझे जाने दो यहां से, इस पिंजरे में तो मैं ठीक से अपने पंख भी नही पसार सकती तो उड़ना तो दूर की बात है। इंसान बोला क्या कमी है तुम्हे, आराम से खाने को मिल रहा है, रहने को मिल रहा है, क्या चाहती हो बस तुम्हारे आगे पीछे घूमता रहूं अपना जीवन न जीउं। इंसान को बस उसके पंखो से मतलब था, चिड़िया के पंख बाजार में बहुत अच्छी कीमत पर बिकते थे। चिड़िया भगवान से अपनी आजादी की फरियाद करती।

एक दिन इंसान के घर में एक जंगली बिल्ली घूस आयी। उस बिल्ली को देख चिड़िया को लगा के आज उसे इस पिंजरे से आजादी मिल जाएगी। बिल्ली पिंजरे की ओर लपकी और पिंजरा जमीन पर गिर गया। चिड़िया के छोटे-छोटे पर हवा में इधर-उधर तैरने लगे। शाम को जब इंसान वापस आया तो जमीन पर पड़े हुए पिंजरे, पर और खून को देखकर बहुत दुख हुआ। उसने पिंजरा उठाया सब साफ किया।

अगले दिन उसने एक नई चिड़िया को लाकर उस पिंजरे में रख दिया।

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