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यूँ ही तरसता मैं अदना ही निंद के लिए

VandanaR
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मै एक छोटे से परिवार में जन्मा एक आम बालक था। बहुत ही सीमित संसाधनो में पला बड़ा। सोचता था खूब पढ़-लिख कर, मेहनत कर के एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा। बचपन में मुझे फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था। सब कहते थे के मैं बहुत अच्छा खेलता हूँ और एक दिन बड़ा होकर डेविड बेकहम के जैसे बड़ा खिलाड़ी बनूंगा। चाहता तो शायद ऐसा हो भी जाता, पर मैं आपसे झूठ नही बोलूंगा मैं चाहता तो बहुत था लेकिन मैने कोशिश नही की। मेहनत करके, अच्छे से पढ़ाई करके एक दिन मुझे कोई अच्छी नौकरी मिल जाएगी इस बात की संभावना ज्यादा थी लेकिन अच्छा खेलने और प्रतिभावान होने के बावजूद भी एक खिलाड़ी के तौर पर मेरा कोई अच्छा भविष्य हो सकता है इस संभावना के आगे एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह था। तो मैने अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित कर दिया। मैं हमेशा अव्वल आता था।

धीरे-धीरे मैं बड़ा हो गया, एक नवयुवक बन गया। जीवन की असीम संभावनाए मेरी ओर बाहें फैलाए खड़ी थी और मैं भी नव ऊर्जा से ओत-प्रोत उनकी ओर अपनी ही धुन में चले जा रहा था। फिर एक दिन वो समय भी आ गया जब मेरा कालिज खत्म हो गया और मुझे एक बहुत अच्छी कंपनी में एक अच्छे पद पर नौकरी मिल गयी। अच्छा आॅफिस, एसी केविन, सलाम करने को लोग और बहुत ही अच्छी तनख्वाह। कभी-कभार कंपनी काम से बाहर भी भेजती थी, पार्टी होती थी, घूमना फिरना भी होता था, नये यार-दोस्त भी बन गये थे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मेरी निकल पड़ी थी। शादी हो गयी, बीवी बच्चे हो गए, सब कुछ एकदम अच्छा पर फिर भी मै परेशान हूं एक अदना सी निंद के लिए। सुबह के 7 बजे से रात के 9 बजे तक ऐसी रेल बनती है न दिनभर के आपको क्या बयान करू। कभी-कभी तो ऐसा होता है के बच्चो को सोता हुआ छोड़ कर जाता हूँ और वापस जब आता हूँ तो भी सोता हुआ ही पाता हूँ। सोचता हूँ के छुट्टी वाले दिन बच्चो के साथ खूब खेलूंगा पर जब भी घर में होता हूँ निंद मुझे ऐसे अपने आगोश में लेने लगती है के जैसे हम कब से बिछड़े हुए आज जा कर मिले हो। पर ज्यादा सो जाऊ तो बीवी नाराज, बच्चे परेशान ना सो सकूं तो मैं नशे में, निंद के नशे में। ऐसा नही है के मुझे बीवी बच्चो के साथ समय बिताना, घूमना-फिरना पसंद नही है, मुझे बहुत पसंद है पर आपसे झूठ नही बोलूंगा सबसे ज्यादा मजा मुझे जब आता है जब ये सब भी सो जाते है ताकी मैं भी सो पाऊ। पर मैं चाहे जितना सो जाऊ ये निंद कभी पूरी ही नही होती और मैं यूँ ही तरसता रहता हूँ एक अदना सी निंद के लिए।

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