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ॐ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

VandanaR
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कहते है संसार की रचना से भी पहले एक ध्वनि ब्रह्माण्ड में गूंजती थी, वह ध्वनि ॐ की थी। वैसे तो ॐ भारतीय सनातन संस्कृति का मूल् आधार रहा है, युगो से ऋषि मुनि ॐ का ध्यान व जप करते आये है फिर भी ॐ को किसी एक धर्म से नही जोड़ा जा सकता। आजकल के समय में जब लोग तो क्या रंग और पशु तक को धर्मो में बाट दिया गया हो एक ॐ ही है जो धर्मो से परे है।

आजकल की भागदौड़ और मानसिक तनावपूर्ण दिनचर्या में ॐ का जाप हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है। अगर आप जोर से बोल कर ॐ का जाप नही कर सकते तो मानसिक जाप करिए। आप ॐ के उच्चारण को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना कर तो देखिए, ॐ आपको नव ऊर्जा से भर देगा। ॐ जादू की छड़ी घुमा के आपकी परेशानियां तो दूर नही कर देगा परंतु उनका सामना करने की अद्भुत शक्ति जरूर प्रदान करेगा।

आँखे बंद कर के ॐ (ओ•••म•••• ) का उच्चारण करें। आप एक जाप से शुरु करें और जाने दें मन को वो जहां जाना चाहे, अपने मन को बाध्य न करे एकाग्र होने को। धीरे धीरे सतत प्रयास से आपका मन अपने आप एकाग्र हो जाएगा। जब आप अभ्यस्त हो जायेंगे तब आप अपने में एक असीम ऊर्जा को महसूस करेंगे। यह ऊर्जा आपको नित नयी चुनौतियो का सामना करने की अद्भुत ऊर्जा प्रदान करेगी।

ॐ के उच्चारण से जो वाइब्रेशन उत्पन्न होती है वह न सिर्फ मानसिक अपितु कई प्रकार के शारिरिक कष्ट भी दूर हो जाते है, जैसे कि ब्लडप्रेशर, ब्लड सर्कुलेशन, डाइजेशन, ह्रदय रोग, नींद न आना आदि आदि।

अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक बार जरुर कोशिश करे ॐ को अपने जीवन का अंग बनाने की।

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