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हाल ही के दिनों में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य के लिए अलग झंडे की मांग की जिसके लिए तर्क दिया गया की अगर कश्मीर का अलग झंडा हो सकता है तो कर्नाटक का क्यों नहीं , कांग्रेस की यह मांग कांग्रेस पार्टी की गिरी हुई मानसिकता को दर्शाता है , कांग्रेस ने हमेशा ही देश को तोड़ के शासन किया जैसे की 1947 में भारत के दो टुकड़े कांग्रेस समर्थित ही कहे जाते रहे है, कि नेहरू जी की ज़िद के कारन ही भारत और पाकिस्तान अलग अलग करने पड़े.
कांग्रेस का इस तरीके से राजनीति करने की कोशिश करना उसे भले स्थानीय क्षेत्रों में विजयी बनाये परन्तु राष्ट्रीय स्तर पे कदापि नहीं . जब पूरा देश चीन से लड़ रहा है तब कोन्ग्रेस्स के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी जी चीन के राजनयिकों से मिलने जाते है , यह कार्य पूर्णतया देश विद्रोही भावना से ओतप्रोत है , उसी तरह से कश्मीर में मणि शंकर अय्यर का अलगाओवादियों से मिलना ये कहां की राजनीति है जिसमे आप हर उस काम का समर्थन कर रहे है जो देश विरोधी है देश के मूल्यों के विपरीत है .
UPA जिस तरह से गिरती हुई मानसिकता का शिकार हो रही है उसे यह लग रहा है की वो किसी भी हद तक जा सकती है , कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को यह विचार करना चाइये की इस तरह की मानसिकता लेकर आप ज्यादा दूर तक नहीं जा सकते है , क्यूंकि जनता भी समझदार है और जिस हिसाब से NDA की सरकार को अन्य राज्यों में बहुमत मिल रहा है उससे कांग्रेस को सीख लेनी चाहिए
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