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जब आरएसएस के पूर्व प्रमुख के. सी. सुदर्शन जी ईद की नमाज़ अदा करने के लिए चल दिए मस्जिद की ओर

वेद क़ुरआन
वेद क़ुरआन
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ताजुल मसाजिद भोपाल

सुबह क़रीब 8 बजे के. सी. सुदर्शन जी ने अरेरा कॉलोनी स्थित संघ के कार्यालय समिधा से अपने सुरक्षा दस्ते को ताजुल मसाजिद चलने को कहा। रवाना होते ही जैसे ही सुदर्शन जी ने कहा कि वे नमाज़ पढ़ेंगे तो सुरक्षाकर्मियों ने इसकी ख़बर ट्रैफ़िक पुलिस को दी और पुलिस के आला अफ़सरों ने सुदर्शन जी को रोकने की क़वायद शुरू कर दी। उनके क़ाफ़िले को बीच रास्ते रूकवा लिया गया लेकिन सुदर्शन जी मानने को तैयार नहीं थे। सुदर्शन जी का तर्क था कि ईश्वर की इबादत से कौन सा मज़हब रोकता है ?
पुलिस अधीक्षक अरविन्द सक्सेना ने नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी और आकर उन्हें समझाने को कहा।
बाबूलाल गौर जी ने पहुंच कर सुदर्शन जी से बातचीत की और उन्हें लेकर लौट गए। इसके बाद सुदर्शन जी ने जाकर शहर क़ाज़ी और कुछ अन्य मित्रों के घर जाकर ईद की मुबारकबाद दी।
दैनिक जागरण, मेरठ संस्करण 21 अगस्त 2012 में द्वितीय पृष्ठ पर प्रकाशित समाचार के आधार पर

के. सी. सुदर्शन जी का नमाज़ के लिए आरएसएस कार्यालय से निकलना एक अच्छी ख़बर है। ऐसी ख़बरें राम रहीम के बंदों के एक होने की आशा को बल देती हैं। के. सी. सुदर्शन जी अकेले थे, सो उन्हें जैसे तैसे रोक दिया गया लेकिन आने वाले समय में पालनहार ईश्वर के भक्तों को उसके सामने साष्टांग/सज्दा करने से रोक पाना संभव न रहेगा क्योंकि तब वे बहुत होंगे।

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