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बुरी आदतों को छोड़ने की प्रैक्टिस रोज़े के ज़रिये से हो जाती है और यह सामाजिक एकजुटता को भी ज़ाहिर करती है

वेद क़ुरआन
वेद क़ुरआन
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लोग यह चाहते हैं कि हमें न बदलना पड़े मगर दूसरे सब बदल जाएं। वे किसी की मुसीबत में काम न आएं। कोई सड़क पर पड़ा कराह रहा हो तो वे भले ही उसे नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ जाएं मगर उनकी तकलीफ़ को दूर करने के लिए भागे चले आएं।
यह समाज आज जैसा भी है। इसे ऐसा हमने ही बनाया है। हम में से हरेक ने इसे ऐसा बनाया है। समाज में आज अच्छाई अच्छे लोगों के दम से है। अच्छाई को बढ़ावा दिया जाए तो अच्छाई बढ़ेगी और ऐसा करने के लिए हमें अपनी बुरी आदतों को छोड़ना होगा।
बुरी आदतों को छोड़ने की प्रैक्टिस रोज़े के ज़रिये से हो जाती है और यह सामाजिक एकजुटता को भी ज़ाहिर करती है। अच्छाई को एकजुट होकर फैलाना चाहिए।

Source : http://drayazahmad.blogspot.in/2012/08/blog-post_5.html

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