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‘विवाह पूर्व यौन सम्बंध की त्रासदी’ पर कवितामय टिप्पणी

वेद क़ुरआन
वेद क़ुरआन
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विवाह पूर्व यौन सम्बंध की त्रासदी

रचना ईश्वर ने रची, तन मन मति अति-भिन्न |
प्राकृत के विपरीत गर, करे खिन्न खुद खिन्न |
करे खिन्न खुद खिन्न, व्यवस्था खुद से करता |
करे भरे वह स्वयं, बुढापा बड़ा अखरता  |
नाड़ी में है ताब, आबरू की क्या चिंता |
अंत घड़ी जब पास, शुरू की गलती गिनता ||

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खुदा की इबादत क्यों करना ?

Hindi Topics…

कुछ जुगाड़ कर दो प्रभू, होवे बेडा पार |
नेता से मंत्री बनू, पैदल को दे कार |
पैदल को दे कार, खजाना सदा बढ़ाना |
कर दे मेरा काम, चढ़ावा पूरा माना |
ढकोसले ये छोड़, नित्य आभार प्रगट कर |
पाया प्रभू अपार, स्वार्थ अब छोडो रविकर ||

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ईमानदारी का एफ़ी-डेविट:अन्नापार्टी -रविकर : चर्चा मंच 965

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