वेद क़ुरआन
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65 वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई-शुभकामनायें.
और ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के शब्दों में
मेरी चिंतायें
मानव विकसित हो रहा है. आजके बच्चे पहले की अपेक्षा अधिक जानकार और होशियार हैं. वे अपने और अपने वातावरण के प्रति अधिक चैतन्य हैं. पर हमें पहले से ज्यादा नैराश्य, दैन्यता और अन्धेरा क्यों नजर आता है. अखबारों और पत्रिकाओं/पुस्तकों के पन्ने अधिक चमकदार बन रहे हैं, पर वे जीवन धुंधला क्यों बना रहे हैं ?
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