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गुरु पूर्णिमा बनाम गुरु

VIRENDER.VEER.MEHTA
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वैसे तो संसार में कई विद्वान हुए हैं परंतु हिंदू सभ्यता में चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता व्यास ऋषि को आदिगुरु माना जाता है और उनकी स्मृति को ताजा रखने के लिए अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पूजा करके गुरु पूर्णिमा को भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी आज का दिन गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। प्राचीनकाल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था।

यहाँ सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि वास्तव में #गुरु कौन होता है।

हालांकि कहा जा सकता है कि जो भी किसी प्रकार की शिक्षा दे वह सभी गुरु होते हैं। लेकिन क्या क्या जो सिर्फ मोक्ष का मार्ग ही दिखाए वहीं गुरु होते हैं!
गुरु द्रोण ने धनुष विद्या की शिक्षा दी, वे गुरु नहीं थे?
क्या स्कूल या कॉलेज का शिक्षक गुरु नहीं होता?
भागवत कथा बांचने वाला या फिर चार किताब पढ़कर प्रवचन देने
वाला गुरु नहीं होता?
जो नेट‍, डॉक्टरी या इंजीनियरिंग सिखाए वे गुरु नहीं होते?
किताब, ऑडियो-वीडियो, गीत-संगीत या ध्यान बेचने की नौकरी देने
वाला गुरु नहीं होता?
क्या आज के आधुनिक समय में अपने ज्ञान से राह दिखाने वाले मित्र,
नातेदारी और शुभचिंतक गुरु नहीं हो सकते?
क्या जन्म से व्यस्क अवस्था तक संभाल करने वाले और संसार की
पहचान करने वाले माता-पिता गुरु नहीं हो सकते?

कहा जाता है कि शास्त्रों के अनुसार गुरु वह होता है जो आपको नींद से जगा दे और आपको मोक्ष के मार्ग पर धकेल दे।

गुरु की खोज के संदर्भ में आचार्य रजनीश ने कहा था गुरु की खोज बहुत मुश्किल होती है। गुरु शिष्य को खोजता है और शिष्य गुरु को खोजता रहता हैं, लेकिन बहुत मौके ऐसे होते हैं जब गुरु हमारे आसपास होता है और हम उसे ढूंढ़ रहे होते है किसी मठ में, आश्रम में, जंगल में या किसी दुनियां के किसी चकचौंध मेलें में ! दरअसल बहुत से साधारण लोग हमें गुरु लगते ही नहीं हैं क्योंकि वे तामझाम के साथ हमारे सामने नहीं आते। वे न तो ग्लैमर की दुनिया से आते है और न ही वे हमारे जैसे तर्कशील होते हैं। हमारे जीवन में ऐसे बहुत से मौके आते हैं जब गुरु हमारे सामने होते हैं और हम किसी अन्य तथाकथित के चक्कर में लगे रहते हैं।

ऐसे ही आदरणीय और सच्चे गुरुओं को गुरु पूर्णिमा पर शत: शत: नमन…।
जीवन में उन सभी आदरणीय शुभचिंतको को समर्पित जिन्होंने हर कदम पर मुझे सही मार्ग दिखाया……. सादर! 🙏

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