भारत बड़ा ही डोमोक्रेटिक देश है. यहां प्यार की पाठशाला में सिर्फ थ्योरी की क्लास ही चलती है. अब यहां प्यार के किस्से तो सब बड़े चाव से सुनते हैं लेकिन जब वह हकीकत बनते हैं तो लोग होहल्ला करना शुरु कर देते हैं. इस संदर्भ में एक शायरी है गौर फरमाइए
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.
कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
कि मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दिवाना था कभी मीरा दिवानी थी
यहां सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आंसू हैं
जो तू समझे तो मोती है और न समझे तो पानी है.
समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को तू अपना बना लेना
जरा सुन ले जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता.
शेर
मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे आगे ,
तू देख कि तेरा रंग क्या है मेरे आगे
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