जीतना ज़रुरी था और खासकर उस टीम के खिलाफ़ जिसके खिलाफ़ जीतना वर्ल्ड कप जीतने के बराबर माना जाता था. लेकिन कुछ भी इतना आसान नहीं था. एक तरफ़ था पहाड़ जैसा लक्ष्य जिसकी रक्षा के लिए थे दुनिया के बेहतरीन गेंदबाज़. इन सभी अवरोधों को पार कर पाना बहुत कठिन था. ज़रूरत थी एक ऐसे नेतृत्व की जो टीम की नाव खे पाए.
1 मार्च सेंचुरियन स्पोर्ट्स पार्क, दक्षिण अफ्रीका. ग्रुप “A” के लीग चरण के मुकाबले में थे चिरप्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान आमने-सामने. दोनों ही टीम किसी भी तरह यह मैच जीतना चाहती थीं. टॉस पाकिस्तान ने जीता और पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया. पाकिस्तानी कप्तान वकार यूनुस द्वारा यह निर्णय सही भी साबित हुआ. टीम के सबसे अनुभवी बल्लेबाज़ सईद अनवर ने 101 रन की पारी खेली और पाकिस्तान ने 50 ओवर में बनाए 273 रन.
भारत के सामने था एक बड़ा सा लक्ष्य जो पाकिस्तानी गेंदबाज़ी के सामने और भी बड़ा हो गया था क्योंकि पाकिस्तान के पास थे वकार यूनुस, शोएब अख्तर और वसीम अकरम जैसे सभी मैच विनर. ऐसे में भारत को सबसे ज़्यादा उम्मीद थी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से.
वसीम अकरम के पहले ओवर में कवर्स क्षेत्र में सचिन ने बैक फुट ड्राइव से चौका जड़ा और अपना खाता भी खोला, उसके बाद शोएब अख्तर के ओवर में लगाई यादगार शॉट –“ थर्ड मैन के ऊपर से लगाया छक्का”.
सचिन की 98 रन की पारी में सभी शॉट थे. भले ही सचिन ने इस पारी में शतक नहीं जड़ा लेकिन जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी गेंदबाजों की धुनाई की उसने भारतीय जीत की नींव रखी.
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