एक तरफ जहां पूरा देश हर साल आजादी की सालगिरह मनाता है दूसरी तरफ हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक फिल्म ऐसी है जिसकी यादों की लकीर लोगों के दिलो-दिमाग पर इस कदर प्रबल है कि गुजरते वक्त के बावजूद भी और गहरी होती जाती है.
15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई बॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले को 40 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी इस फिल्म के डायलॉग्स और संगीत लोगों की जुबान पर है. अगर कहा जाए कि पिछले 70 वर्षों में भारतीय लोग स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के अलावा फिल्म शोले को सबसे ज्यादा याद करते हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
अमिताभ और रेखा को आज भी वो रात याद है
सालो गुजर जाने के बाद फिल्म की लोकप्रियता का आलम इस कदर है कि पर्दे पर दिखने वाले सीन, डायलॉग्स और संगीत आदि लोगों को याद तो है ही पर्दे के पीछे की खबर भी उन्हें फिल्म के फ्लैशबैक में ले जाती है.
बहुत ही कम सिनेमाई प्रेमी होंगे जिन्होंने फिल्म से जुड़ी सभी यादों को अपने मन-मस्तिष्क में सहेजकर नहीं रखा होगा लेकिन उनमें से भी बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें यह पता होगा कि फिल्म में पांच नहीं बल्कि छह गाने थे लेकिन फिल्म बड़ी होने की वजह से छठे गाने को हठा दिया गया.
‘चांद सा कोई चेहरा’ नाम से यह गाना किशोर कुमार और मन्ना डे ने गाया है जिसके गीत को आनंद बख्शी ने अपने शब्दों में पिरोया है. यह एक कव्वाली है…Next
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