कल हमारे इश्क के कन्हैया की एक लड़की से ऑनलाइन मुलाकात हो गई. पहले तो छोरी ने बहुत मजे से बात की पर जब दोस्ती आगे बढ़ाने की बारी आई तो हसीना कुछ ऐसे पीछे हटी जैसे कारगिल से पाकिस्तानी तोपें. यह देख हमारे कन्हैया को गुस्सा आ गया. हसीना लड़की ना होती तो भई हमारे कन्हैया भइया को कंस बनते देर ना लगती पर लड़की का लिहाज कर लिया और जवाब कुछ शायराना अंदाज में दिया.
वैसे भइया ऑनलाइन इश्क की फिराक में रहोगे तो धोखे तो हर कदम पर मिलेंगे, इसीलिए हम कहते हैं इस मायावी दुनिया से थोड़ी दूरी ही बेहतर है.
हसीन तुम हो तो बुरे हम भी नहीं, महलों में तुम हो तो सड़कों पर हम भी नहीं,
प्यार करके कहते हो शादीशुदा हूं मैं, कान खोलकर सुन लो कुवांरे हम भी नहीं.
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